मुजफ्फरपुर में खुलेंगे नए औषधि केंद्र, लोगों को सस्ती दरों पर मिलेगी जेनेरिक दवाइयां

मुजफ्फरपुर। बिहार के ग्रामीण इलाकों में अब लोगों को जेनेरिक दवाएं सस्ती कीमत पर उपलब्ध होंगी। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत मुजफ्फरपुर जिला सहकारिता विभाग ने एक नई पहल की है, जिसके अंतर्गत प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) को जन औषधि केंद्रों के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण जनता को सुलभ और किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है, साथ ही फार्मेसी की पढ़ाई कर चुके युवाओं को रोजगार का अवसर भी देना है।
पहले चरण में सात पैक्स का चयन
इस योजना के पहले चरण में जिले के सात पैक्सों का चयन किया गया है। इनमें मीनापुर प्रखंड के पिपराहा असली पैक्स को पहले ही दवा बिक्री के लिए लाइसेंस जारी किया जा चुका है। शेष छह पैक्स—औराई का बिशनपुर गोकुल, मुशहरी का तरौरा गोपालपुर, कुढ़नी का पकाही और किशुनपुर मोहिनी, मड़वन का करजाडीह और सरैया का बहिलबारा रूपनाथ दक्षिणी—में लाइसेंस प्राप्ति की प्रक्रिया चल रही है।
पैक्स के माध्यम से होगा संचालन
इन जन औषधि केंद्रों का संचालन सीधे पैक्स के माध्यम से किया जाएगा। जहां पैक्स के पास खुद का गोदाम नहीं है, वहां पंचायत सरकार भवन में केंद्र की स्थापना की जाएगी। यह व्यवस्था न केवल स्थान की समस्या का समाधान करेगी बल्कि पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य सेवा की सुलभता भी बढ़ाएगी।
योग्य फार्मासिस्ट की अनिवार्यता
सरकार की शर्तों के अनुसार, प्रत्येक औषधि केंद्र पर बी.फार्मा या डी.फार्मा डिग्रीधारक व्यक्ति का होना आवश्यक है। पैक्स अध्यक्ष किसी योग्य फार्मासिस्ट को केंद्र संचालन के लिए नियुक्त करेंगे और उसी के आधार पर ड्रग लाइसेंस प्राप्त किया जाएगा। इससे स्थानीय फार्मासिस्टों को रोजगार का अवसर मिलेगा और केंद्र की कार्यप्रणाली भी पेशेवर रूप से संचालित होगी।
50 से 80 प्रतिशत तक सस्ती दवाएं
इन जन औषधि केंद्रों पर मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50 से 80 प्रतिशत तक कम कीमत पर उपलब्ध होंगी। यह सुविधा खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित होगी। बाजार में जिन दवाओं की कीमत 100 रुपये तक होती है, वे जन औषधि केंद्रों पर मात्र 10 से 15 रुपये में उपलब्ध होंगी।
शहरों की ओर रुख करने की जरूरत नहीं
इस योजना से ग्रामीण मरीजों को अब दवाओं के लिए शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। उन्हें अपने ही गांव या पंचायत स्तर पर जरूरी दवाएं सुलभ दरों पर उपलब्ध होंगी। इससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच हर जरूरतमंद तक हो सकेगी।
गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं
जिला सहकारिता पदाधिकारी रामनरेश पांडेय के अनुसार, इन जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के अनुरूप है। ये दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तरह ही प्रभावी होती हैं, बस कीमत कम होती है। इससे गरीबों को लाभ मिलेगा और स्वास्थ्य सेवाओं में विश्वास भी बढ़ेगा।
आर्थिक सहायता और प्रोत्साहन
सरकार द्वारा जन औषधि केंद्र खोलने पर 2 से 2.5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही, यदि केंद्र किसी विशेष वर्ग के व्यक्ति द्वारा खोला जाता है तो उन्हें अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। यह पहल आत्मनिर्भर भारत और स्वस्थ भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुजफ्फरपुर जिले में प्रारंभ हो रही यह योजना बिहार के ग्रामीण स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति ला सकती है। एक ओर जहां ग्रामीण जनता को सस्ती और सुलभ दवाएं मिलेंगी, वहीं दूसरी ओर फार्मेसी डिग्रीधारकों के लिए नए रोजगार के रास्ते भी खुलेंगे। सरकार की यह योजना निस्संदेह स्वास्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस प्रयास है।

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