October 28, 2025

मनोज तिवारी ने खेसारी को दी शुभकामनाएं, कहा- जरूर चुनाव लड़े, पर राजद से रहें सावधान

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है, सियासी बयानबाजी भी तेज होती जा रही है। इस बार भोजपुरी सिनेमा के दो बड़े चेहरों—मनोज तिवारी और खेसारी लाल यादव—के बीच राजनीति की चर्चा ने चुनावी माहौल को और दिलचस्प बना दिया है। भाजपा सांसद और भोजपुरी अभिनेता मनोज तिवारी ने शनिवार को राजद और महागठबंधन पर तीखा प्रहार करते हुए इसे “महाठगबंधन” करार दिया। साथ ही उन्होंने भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव को शुभकामनाएं देते हुए चेतावनी दी कि वे राजद के जाल से सावधान रहें। मनोज तिवारी ने कहा कि आज बिहार की राजनीति में महागठबंधन की हालत बिखरी हुई है। एक तरफ तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने का दावा कर रहे हैं, तो दूसरी ओर मुकेश सहनी खुद को डिप्टी सीएम की कुर्सी के लिए प्रोजेक्ट कर रहे हैं। ऐसे में जनता के बीच भ्रम की स्थिति है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि एनडीए के पास 56 इंच का सीना है, जबकि महागठबंधन के पास 56 इंच की जीभ—जो मन में आए, वही बोल देती है।
खेसारी के मैदान में उतरने से बढ़ी चर्चा
भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव के चुनावी मैदान में उतरने से बिहार का सियासी तापमान और बढ़ गया है। वे इस बार छपरा विधानसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। शुरुआत में यह सीट उनकी पत्नी चंदा यादव के लिए तय मानी जा रही थी, लेकिन अंतिम समय में तकनीकी कारणों से खेसारी खुद उम्मीदवार बन गए। मनोज तिवारी, जो खुद भी भोजपुरी फिल्मों से राजनीति में आए हैं, ने खेसारी को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि खेसारी एक अच्छे कलाकार हैं और एक जमीन से जुड़े इंसान हैं। वे पहले भाजपा के प्रचार में भी सक्रिय रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं का समर्थन करते रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि खेसारी का राजनीति में आना स्वागत योग्य है, पर उन्हें यह समझना होगा कि राजद जैसी पार्टी में रहकर वे बिहार के विकास की बात नहीं कर सकते।
“राजद का इतिहास नौकरी नहीं, जमीन छीनने का रहा है”
मनोज तिवारी ने राजद के चुनावी घोषणापत्र और वादों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राजद ने हर परिवार को नौकरी देने का जो वादा किया है, वह पूरी तरह भ्रामक है। उनके अनुसार, जो लोग अपने पटिदारों से जमीन लेकर नौकरी देने का सौदा कर रहे हैं, वे दूसरों को रोजगार कैसे दे सकते हैं? उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि राजद का इतिहास नौकरी देने का नहीं, बल्कि जमीन छीनने का रहा है। भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि राजद के शासनकाल में भ्रष्टाचार और परिवारवाद चरम पर था। उन्होंने कहा कि जनता अब लालू-राबड़ी के उस दौर को भूल नहीं पाई है, जब कानून-व्यवस्था चरमराई हुई थी और विकास ठप पड़ गया था। आज वही लोग फिर से सत्ता में आने का सपना देख रहे हैं, लेकिन बिहार की जनता अब बहुत समझदार हो चुकी है।
“महागठबंधन नहीं, महाठगबंधन”
मनोज तिवारी ने महागठबंधन की एकता पर भी सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन नाम का ही है, असल में यह महाठगबंधन है। इसमें हर पार्टी अपनी-अपनी कुर्सी के लिए लड़ रही है। तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहते हैं, मुकेश सहनी उपमुख्यमंत्री की, और कांग्रेस अपनी खोई जमीन तलाश रही है। उन्होंने कहा कि जब अपने ही साथी एक-दूसरे के खिलाफ बयान दे रहे हैं, तो बिहार का विकास कैसे होगा? उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि यह गठबंधन वैसा है जैसे “थाली का बैंगन”—जहां हवा चले, उधर लुढ़क जाता है। भाजपा नेता ने दावा किया कि एनडीए में कोई भ्रम नहीं है, सब कुछ स्पष्ट है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सभी दल एकजुट हैं और बिहार में एक बार फिर एनडीए की ऐतिहासिक जीत तय है।
खेसारी के लिए संदेश
मनोज तिवारी ने अंत में खेसारी लाल यादव को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपनी लोकप्रियता और जनता के प्यार को सही दिशा में लगाएं। उन्होंने कहा कि खेसारी बहुत प्रतिभाशाली हैं, लेकिन उन्हें जल्दी ही एहसास होगा कि उन्होंने गलत पार्टी चुनी है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में आना बुरा नहीं, परंतु सही विचारधारा और सही मंच का चयन सबसे जरूरी है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि खेसारी लाल यादव जैसे कलाकार जनता के बीच गहरी पकड़ रखते हैं। उनका प्रभाव गांव-गांव तक है, लेकिन जब वे राजद जैसे दल के साथ खड़े होते हैं, जो भ्रष्टाचार और जातिवाद की राजनीति करता है, तो उनकी छवि पर असर पड़ता है। मनोज तिवारी के इस बयान ने न केवल बिहार की चुनावी राजनीति को नई दिशा दी है, बल्कि यह संकेत भी दिया है कि भाजपा अब महागठबंधन पर सीधा हमला करने की रणनीति अपना रही है। खेसारी लाल यादव का राजनीति में उतरना जहां भोजपुरी सिनेमा के प्रशंसकों के लिए उत्सुकता का विषय है, वहीं उनके पार्टी चयन को लेकर भी बहस तेज हो गई है। मनोज तिवारी के शब्दों में, “राजनीति में कदम रखना अच्छी बात है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि जनता सेवा के नाम पर कौन सच्चा है और कौन सिर्फ भाषण दे रहा है।” उनके इस बयान से यह स्पष्ट है कि भाजपा अब मनोरंजन जगत से आने वाले चेहरों को भी सियासी हथियार के रूप में देखने लगी है।

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