मुख्यमंत्री के खिलाफ अंबेडकर स्मारक के बाहर जीतनराम मांझी ने किया मौन प्रदर्शन, काली पट्टी बांधकर जताया विरोध

- पूर्व सीएम बोले- नीतीश कुमार ने पूरे दलित समाज के साथ-साथ बिहार की महिलाओं को भी शर्मसार किया है
पटना। एनडीए में शामिल हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी ने बिहार में नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को उन्होंने मुख्यमंत्री के बयान के खिलाफ पटना हाईकोर्ट के अंबेडकर स्मारक के बाहर मौन प्रदर्शन किया। इस दौरान बिहार बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने भी मांझी का समर्थन कर मौन प्रदर्शन में उनका साथ दिया। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा भी इस प्रदर्शन में शामिल रहे। मांझी अंबेडकर स्मारक के अंदर अपना प्रदर्शन करने जा रहे थे, लेकिन प्रशासन ने इसकी परमीशन नहीं दी। वो समर्थकों के साथ अंबेडकर मूर्ति के बाहर ही काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। इसमें जीतन राम मांझी के साथ हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के कार्यकर्ता भी शामिल हैं। मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार ने पूरे दलित समाज को जलील किया है। हमारा पूरा दलित समाज शर्मसार है। दलित समाज के साथ महिलाओं को भी नीतीश कुमार ने नहीं छोड़ा है। इससे पहले विधानसभा सत्र के आखिरी दिन 10 नवंबर को जीतन राम मांझी के साथ एनडीए के सभी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय के बाहर और सदन में प्रदर्शन किया था।
नीतीश ने मुझे अपने फायदे के लिए सीएम बनाया, पर हम जब काम करना शुरू किये तो उनके पेट में दर्द होने लगा
मांझी ने कहा की नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री महिलाओं के बारे में कितना आपत्तिजनक बातें कहते हैं। यह आप लोग जानते हैं। उसके बाद हमारे साथ गलत बर्ताव किया जबकि हम उनसे उम्र में बहुत बड़े हैं। राजनीतिक जीवन भी उनसे लंबी है। किसान सभा में जहां छोटा हो या बड़ा हो सभी माननीय सदस्य होता है उनके प्रति आदर और सम्मान के साथ बातचीत की जानी चाहिए। लेकिन जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बातें कही वह कहीं से भी उचित नहीं है। नीतीश कुमार ना सिर्फ हमारा बल्कि इस देश में रहने वाले सभी गरीब और दलित समाज के लोगों का अपमान किया है। नीतीश कुमार के तरफ से जो बातें कही गई है कहीं से भी उचित नहीं है। हमें ऐसा क्या बोल रहे थे। हमने आरक्षण बिल का हमेशा से ही समर्थन किया है। हमने तो सिर्फ यह कहा कि बाबा साहब ने कहा था कि आरक्षण का हर 10 साल में समीक्षा की जानी चाहिए। आप 18 साल से बिहार के मुख्यमंत्री के कुर्सी पर हैं और आपके बड़े भाई भी 15 साल कुर्सी पर रहे। आखिर क्यों समीक्षा नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही मुझे उन्होंने अपने फायदे के लिए सीएम बनाया था। वो समझते थे कि मुसहर समाज का लोग बड़ा सीधा होता है। इसको बना देंगे तो कहेंगे वो करेगा। उनको 2014 में बुरा हाल हो गया है। इनको पार्टी के नेता लगातार इस्तीफा की मांग कर रहे थे तो इसी पर न देकर एक मुलायम आदमी को और एक सीधा-साधा आदमी को कुर्सी पर बैठा दिया। 2 महीना तक जैसा उन्होंने कहा वैसा हमने किया भी। उसके बाद लगातार यह बातें आने लगी कि जीतन राम मांझी रबर स्टैंप है और रिमोट से चलता है तो फिर हम काम करना शुरू किया तो उनके पेट में दर्द होने लगा।
नीतीश ने कहा था, मांझी को सीएम बनाना मेरी मूर्खता
9 नवंबर को सदन में जातीय गणना के आधार पर आरक्षण संशोधन विधेयक पर चर्चा हो रही थी। इसी पर हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी अपनी बात रख रहे थे। इसे लेकर पूर्व सीएम मांझी ने आपत्ति जताई तो नीतीश आगबबूला हो गए। उन्होंने यहां तक कह दिया कि इसे सीएम बनाना मेरी मूर्खता थी। इसके बाद से लगातार जीतन राम मांझी इसका विरोध कर रहे हैं। पीएम मोदी ने 11 नवंबर को सिकंदराबाद (तेलंगाना) में दलित महासभा को संबोधित करते हुए नीतीश पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि नीतीश ने मेरे करीबी दोस्त और दलित नेता रामविलास पासवान जी का लगातार अपमान किया था। पासवान जी को राज्यसभा सीट की बात आई थी तो वो समर्थन देने में आनाकानी करते रहे। चिराग पासवान में ये दर्द मैंने महसूस किया है। पीएम ने आगे कहा कि दो दिन पहले बिहार में हमने देखा है कि विधानसभा में सदन के अंदर एक और दलित नेता, एक पूर्व मुख्यमंत्री का अपमान किया गया है। जीतन राम मांझी जो दलितों में भी अति दलित हैं, जिन्होंने अपने जीवन में बहुत ही संघर्ष किया है। उनको बिहार के सीएम ने बुरी तरह अपमानित किया। जीतन बाबू को जताने की कोशिश की गई कि वो सीएम पद के योग्य नहीं थे। ये अहंकार की भावना, दलितों के अपमान की भावना कांग्रेस और उसके सहयोगियों की पहचान है। इसके बाद पूर्व सीएम मांझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया है। उन्होंने कहा कि जब हमारे जैसे व्यक्ति को नीतीश कुमार ने प्रताड़ित करने का काम किया तो आपने इस मुद्दे को अहम समझा। हमारा साथ दिया है। दलितों का सम्मान दिया है। बिहार विधानसभा में 9 नवंबर को सीएम नीतीश कुमार और पूर्व जीतन राम मांझी के बीच तीखी नोकझोंक हुई। मांझी आरक्षण की समीक्षा की मांग कर रहे थे। तभी सीएम ने उन्हें बीच में ही टोका और कहा- मेरी मूर्खता से ये मुख्यमंत्री बने थे। इसे राज्यपाल बनने की चाहत है। मुख्यमंत्री ने बीजेपी विधायकों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसे गवर्नर क्यों नहीं बना देते हैं। नीतीश ने कहा कि इनको कुछ आइडिया है। जब मैंने आपको सीएम बनाया तो कोई था क्या आपके साथ। सीएम को शांत कराते हुए स्पीकर ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ये बिहार ही नहीं देश जानता है। आपने ही जीतनराम मांझी को सीएम बनाया था। नीतीश बोले की इसे कोई सेंस नहीं है। हम कह रहे थे कि आप लोगों के ही साथ रहिए, लेकिन ये भाग कर आ गया था। इसलिए इस बार हम भगा दिए। 2013 में जब मैंने बीजेपी को छोड़ दिया था, तब मैंने इनको सीएम बनाया। जिसके बाद मेरी पार्टी के जो लोग थे वो दो ही महीने में कहने लगे कि ये गड़बड़ है, इसे हटाइए। ये क्या मुख्यमंत्री है। इसे कोई ज्ञान नहीं है।
