भाजपा से इस्तीफे पर पलटे मनीष कश्यप, कहा- एफआईआर नहीं केवल नोटिस मिला, लड़ाई जारी रहेगी

पटना। बिहार के चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से इस्तीफा देने का ऐलान किया था, लेकिन बाद में अपने इस फैसले को वापस ले लिया। उनके इस्तीफे की घोषणा के पीछे सारण जिले में उनके यूट्यूब चैनल सहित 11 अन्य चैनलों पर एफआईआर दर्ज होने की खबर थी। हालांकि, जांच करने पर उन्हें पता चला कि उनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, बल्कि केवल नोटिस जारी किया गया है।
एफआईआर की खबर पर प्रतिक्रिया
मनीष कश्यप ने अपने यूट्यूब चैनल “सच टॉक्स” पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके चैनल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और वे गिरफ्तारी देने के लिए छपरा जाएंगे। इस घोषणा के बाद उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देने की बात भी कही थी। लेकिन जब पुलिस से बातचीत हुई, तो उन्हें स्पष्ट हुआ कि यह सिर्फ एक नोटिस था और उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है।
गिरफ्तारी देने पहुंचे छपरा
शुक्रवार को मनीष कश्यप छपरा पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी गिरफ्तारी देने की पेशकश की। सारण पुलिस से चर्चा के दौरान उन्होंने पाया कि मीडिया रिपोर्ट्स में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने की जो खबर फैलाई गई थी, वह पूरी तरह से सही नहीं थी। पुलिस ने बताया कि उनके खिलाफ किसी भी तरह की प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, बल्कि सिर्फ 11 यूट्यूब चैनलों को नोटिस भेजा गया है। यह नोटिस दिघवारा में महिलाओं से कथित मारपीट के मामले में एकतरफा खबर दिखाने के कारण जारी किया गया था।
इस्तीफा वापस लेने का फैसला
जब मनीष कश्यप को यह जानकारी मिली कि उनके खिलाफ एफआईआर नहीं हुई है, तो उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देने के अपने फैसले को वापस लेने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और बिना किसी दबाव के आगे बढ़ेंगे। उनका मानना है कि मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर उन्होंने जल्दबाजी में भाजपा छोड़ने की घोषणा कर दी थी, लेकिन अब जब सच्चाई सामने आ गई है, तो उनका पार्टी से अलग होने का कोई इरादा नहीं है।
भविष्य की योजना
मनीष कश्यप ने स्पष्ट किया कि वे आगे भी अपनी पत्रकारिता जारी रखेंगे और किसी भी अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे राजनीतिक रूप से भाजपा के साथ जुड़े रहेंगे और अपनी विचारधारा के अनुरूप काम करते रहेंगे। इस पूरे घटनाक्रम ने यह दिखाया कि गलत सूचना के आधार पर बड़े निर्णय लेने से पहले पूरी जांच जरूरी होती है।
