पटना के कलेक्ट्रेट घाट पर बड़ा हादसा, नहाने के दौरान तीन दोस्त डूबे, तीनों की मौत
पटना। पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र अंतर्गत कलेक्ट्रेट घाट पर शुक्रवार की शाम एक बेहद दुखद और हृदयविदारक हादसा हुआ। तीन दोस्त गंगा नदी में नहाने के लिए गए थे लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि यह नहाना उनकी जिंदगी का आखिरी लम्हा बन जाएगा। गहरे पानी में चले जाने के कारण तीनों युवक नदी में डूब गए और उनकी मौत हो गई। इस हादसे में जिन तीन युवकों की मौत हुई है, उनमें 20 वर्षीय विनीत कुमार, जो मंदिरी इलाके का निवासी था; 19 वर्षीय सोनू राज, जो दीघा घाट स्थित गंगा कॉलोनी का रहने वाला था; और 19 वर्षीय आदित्य कुमार, जो दुजरा बुद्धा कॉलोनी से था, शामिल हैं। तीनों दोस्त आपस में अच्छे मित्र थे और एकसाथ समय बिताने कलेक्ट्रेट घाट पर पहुंचे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तीनों दोस्त घाट पर कुछ समय तक बातचीत करते रहे और फिर नहाने के लिए गंगा में उतर गए। बताया जा रहा है कि विनीत सबसे पहले गहरे पानी में चला गया और डूबने लगा। उसे बचाने के प्रयास में सोनू और आदित्य भी गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे। नदी की धार इतनी तेज थी कि तीनों की जान नहीं बचाई जा सकी।
बचाव कार्य और मेडिकल सहायता
घटना की जानकारी मिलते ही गांधी मैदान थाने की पुलिस और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम घटनास्थल पर पहुंची। बचाव दल ने कई घंटों की मशक्कत के बाद तीनों युवकों के शव गंगा नदी से बाहर निकाले। इसके बाद उन्हें पीएमसीएच (पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
घाट पर मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने युवकों को डूबते हुए देखा था और उन्हें बचाने के लिए गंगा में उतरे भी थे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नदी की गहराई और तेज बहाव के चलते किसी की जान नहीं बचाई जा सकी। यह घटना घाट पर मौजूद अन्य लोगों को भी स्तब्ध कर गई।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
इस दर्दनाक हादसे ने प्रशासनिक लापरवाही की ओर भी इशारा किया है। घाटों पर नहाने के दौरान किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था या चेतावनी बोर्ड की कमी लोगों की जान पर भारी पड़ रही है। स्थानीय लोग घाटों पर सुरक्षा गार्ड और चेतावनी संकेत लगाने की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसे हादसे रोके जा सकें। यह घटना एक बार फिर से यह याद दिलाती है कि नदी में नहाते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। गहराई और जलधारा का अंदाजा न होने पर जान का खतरा हमेशा बना रहता है। प्रशासन को भी चाहिए कि ऐसे हादसों से सबक लेकर घाटों पर पर्याप्त सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करे ताकि किसी और परिवार को अपने जिगर के टुकड़े न गंवाने पड़ें।


