महाशिवरात्रि मंगलवार को : ॐ नम: शिवाय, हर हर महादेव से गूंजेगा आकाश-पाताल
- पंचग्रही महायोग के दुर्लभ संयोग में महाशिवरात्रि, पार्थिव पूजन व रुद्राभिषेक कर निहाल होंगे श्रद्धालु
पटना। भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह उत्सव का महापर्व महाशिवरात्रि व्रत मंगलवार को फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को परिघ तथा शिव योग के युग्म संयोग के साथ धनिष्ठा नक्षत्र में मनाई जाएगी। शिव भक्त प्रात: काल से ही अपनी सामर्थ्य के अनुसार घर व मंदिरों में पूजा-पाठ के साथ पार्थिव पूजन, शिवार्चन, जलाभिषेक व रुद्राभिषेक कर शिव-पार्वती की कृपा पाएंगे। ॐ नम: शिवाय, हर हर महादेव, बोल बम से पूरा माहौल गुंजायमान रहेगा। शिवालयों में दिन भर भक्तों द्वारा जलाभिषेक, रुद्राभिषेक के बाद संध्या बेला में भगवान शिव का अलौकिक श्रृंगार किया जायेगा। श्रद्धालु रुद्राष्टक, शिव पंचाक्षर, शिव तांडव, शिव महिम्न स्त्रोत का पाठ कर महादेव को प्रसन्न करेंगे। शिव व शक्ति के मिलन के इस पर्व को करने से सुख-समृद्धि, यश, आरोग्यता, मानसिक शांति व वैवाहिक जीवन में सुख तथा आनंद मिलता है। श्रद्धालुओं पर उमा-महेश्वर की असीम कृपा बरसती है।
मंदिरों में अलौकिक श्रृंगार व शिव विवाह
महाशिवरात्रि को लेकर शहर के तमाम शिवालयों को फूलमाला, विद्युत बल्ब तथा नाना प्रकार से सजाया गया है। प्रात: काल से ही शिवालयों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ पहुंचने लगेंगे। पूरे दिन जलाभिषेक, रुद्राभिषेक का सिलसिला चलता रहेगा। संध्या काल में शिव-पार्वती का अलौकिक श्रृंगार व विवाह उत्सव मनाया जाएगा। शहर के कई प्रमुख मंदिरों से शोभायात्रा तथा झांकी भी निकलेगी। झांकियों, शिव बारात में भोलेनाथ के कुछ भक्त भूत, पिशाच, गण, नंदी का भेष धारण कर शामिल होंगे।
पंचग्रही महायोग का बना दुर्लभ संयोग
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि मंगलवार को महाशिवरात्रि पर परिघ व शिव योग का युग्म संयोग के साथ धनिष्ठा में शिव की आराधना सर्व मनोकामना पूर्ण करने वाला है। इस नक्षत्र में भगवान शिव की अराधना बहुत ही फलदायी मानी जाती है। महाशिवरात्रि पर मकर राशि के बारहवें भाव में पंचग्रही महायोग बन रहा है। इस राशि में मंगल, बुध, शुक्र, चंद्रमा और शनि की युति से इस योग से निर्माण हुआ है। इस महापुण्यकारी संयोग शिव-पार्वती की पूजा से शत्रु बाधा से छुटकारा, कोर्ट कचहरी या मुकदमा संबंधी समस्यों से निजात, मधुर दांपत्य जीवन, तरक्की के आसार, सकारात्मकता का प्रवाह, रोग-शोक से मुक्ति होगी।
अश्वमेघ व वाजपेयी यज्ञ का पुण्य
पंडित गजाधर ने कहा कि सूर्य पुराण के अनुसार शिवरात्रि के दिन भगवान शिव पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने निकलते हैं, इसीलिए इस दिन पूजन से सालभर के शिवरात्रि के समान पुण्य मिलता है। शिवरात्रि का पूजा करने से श्रद्धालुओं को एक हजार अश्वमेघ यज्ञ तथा सैकड़ों वाजपेयी यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था।
महाशिवरात्रि को शिवलिंग का उद्भव
शिव महापुराण व ईशान संहिता के मुताबिक फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की मध्यरात्रि में आदिदेव भगवान शिव लिंगरूप में अमिट प्रभा के साथ उद्भूत हुए। महाशिवरात्रि को शिव साधक बड़ी धूमधाम से पूजा-कीर्तन, जागरण आदि करेंगे। शिवरात्रि को श्रद्धालु महादेव को प्रसन्न करने तथा उनकी कृपा पाने के लिए गंगाजल, दूध, दही, शहद, गन्ना रस व पंचामृत से स्नान कराकर विविध प्रकार के चंदन का लेप, वस्त्र-उपवस्त्र, यज्ञोपवीत, अक्षत, नाना प्रकार के फूल, बेलपत्र, इत्र, समीपत्र, अकावन की माला, धतूरा, भांग, धुप-दीप, प्रसाद, पान-सुपारी आदि अर्पण कर कर्पूर की आरती उतारेंगे। माता पार्वती को साड़ी, रक्षा सूत्र, श्रृंगार प्रसाधन, लहठी, इत्र, सिंदूर आदि से पूजन किया जाएगा।
महाशिवरात्रि पूजन का शुभ मुहूर्त
चर-लाभ-अमृत मुहूर्त : सुबह 09:08 बजे से 01:39 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:39 बजे से 12:25 बजे तक
गुलीकाल मुहूर्त : दोपहर 12:02 बजे से 01:39 बजे तक
विजय मुहूर्त : दिन में 02:29 बजे से 03:16 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त : अपराह्न 02:56 बजे से शाम 04:23 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:09 बजे से 06:33 बजे तक
निशीथ काल मुहूर्त : मध्यरात्रि 12:08 बजे से 12:58 बजे तक


