महाभारत 2020-राजद 160,कांग्रेस 75,उपेंद्र कुशवाहा कहां जाएंगे ? वामदलों को भी तो देना है…
पटना।आसन्न विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर अभी भी जिच कायम है।राजद ने प्रदेश के 160 विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार खड़े करने का निश्चय कर लिया है।इधर कांग्रेस ने भी प्रदेश में 75 सीटों से कम पर किसी हाल में नहीं मानने का इरादा कायम कर रखा है।ऐसे में प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में महागठबंधन के साथ सीटों के तालमेल में खुद को एडजस्ट करने का मंसूबा पालने वाली छोटी पार्टियों के समक्ष बेहद कठिन परिस्थिति उत्पन्न हो गई है।महागठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर कोई तवज्जो नहीं मिलने के कारण ही हम सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एनडीए के तरफ अपना रुख मोड़ लिया है।हालांकि एनडीए के साथ भी उन्हें बहुत कुछ हासिल नहीं होने वाला है।इधर राजद ने एक तरह से संकेत दिए हैं कि वह अपने साथ मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी को अपने ‘तरीके’ से एडजस्ट कर लेगी।वैसे में प्रदेश की राजनीति में रालोसपा के समक्ष संकट की स्थिति पैदा हो गई है।रालोसपा सुप्रीमो पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा जीतन राम मांझी की तरह एनडीए के तरफ रुख मोड़ नहीं सकते हैं।वैसे भी एनडीए में भाजपा-जदयू तथा लोजपा के बाद अगर कोई सीट बचती है।तभी किसी और की कोई गुंजाइश होगी।जिसकी उम्मीद अभी न के बराबर दिखती है।ऐसे में जब कांग्रेस ने 75 सीटों में उम्मीदवार खड़ा करने का दृढ़ संकल्प पाल लिया है। तो राजद के 160 तथा कांग्रेस के 75 सीट जोड़ दिए जाएं तो 235 सीट हो जाते हैं। ऐसे में 243 विधानसभा क्षेत्रों से 235 सीट घटाने पर मात्र 8 सीट बचती है। जिसमें उन्हें वामपंथी दलों को भी एडजस्ट करना है।ऐसे में रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा के समक्ष राजनीतिक दुविधा उत्पन्न हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसी परिस्थिति में उपेंद्र कुशवाहा थर्ड फ्रंट के साथ भी चुनाव मैदान में उतरने के लिए सोच सकते हैं।हालांकि बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में थर्ड फ्रंट कि राजनीतिक धरातल अभी भी बहुत मजबूत नहीं हुई है।


