समय पर पहचान से लिम्फोमा बीमारी से पाया जा सकता है निजात : डॉ. अविनाश

पटना। विश्व लिम्फोमा दिवस के अवसर पर बुधवार को पारस अस्पताल के हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. अविनाश सिंह ने लोगों को लिम्फोमा बीमारी के बारें में विशेष जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समय रहते इस बीमारी का पता लगा लिया जाए और समय से इलाज शुरू हो जाए तो लिम्फोमा ठीक हो सकता है। यदि किसी को लिम्फोमा होता है तो उसे हताश होने की जरूरत नहीं है। इस बीमारी के इलाज के लिए एडवांस किमो-इम्यूनथेरेपी आ चुका है। यदि इस बीमारी से बचना है तो सही जीवन शैली अपनाएं, वजन नियंत्रित रखें, रोज 45 मिनट टहले, फास्ट फूड न खाएं, तनाव और हर तरह के व्यसन व नशा से दूर रहें।
क्या है लिम्फोमा बीमारी
डॉ. अविनाश के मुताबिक, लिम्फोमा एक प्रकार का कैंसर है जो रक्त से संबंधित है। व्हाइट ब्लड सेल या सफेद रक्त कोशिका पांच तरह के होते हैं, उसमें लिम्फोसाइट भी एक प्रकार होता है। इस कोशिका के कैंसर को लिम्फोमा कहते हैं। यह रक्त कोशिका हमें रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। भारत में हर वर्ष 10 लाख लोगों में इस बीमारी की पहचान होती है। गर्दन, कांख, कमर, लिम्फ ग्रंथी में सूजन, वजन कम होना, कमजोरी, भूख नहीं लगना, प्लेटलेट्स कम होना, हड्डी में दर्द आदि इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं। यदि समय से रोग की पहचान हो जाए और इलाज शुरू हो जाए तो 90 प्रतिशत बीमारी से उबरने की संभावना होती है। यह बीमारी दुबारा भी हो सकती है, जिसे रिलेप्स लिम्फोमा कहते हैं। दुबारा होने की स्थिति में भी इलाज मौजूद है।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा मौजूद
वहीं इस मौके पर पारस अस्पताल के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. तलत हलीम ने कहा कि पारस अस्पताल में कैंसर इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा मौजूद है। हमारा एक मात्र लक्ष्य न्यूनतम कीमत पर उच्चस्तरीय चिकित्सा व्यवस्था बिहार के लोगों के लिये मुहैया कराना है।

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