एलजेपीआर नेता हुलास पांडे के पटना समेत कई ठिकानों ईडी की छापेमारी, मचा हडकंप

पटना। बिहार की राजनीति में शुक्रवार का दिन हलचल भरा रहा, जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बहुचर्चित पूर्व विधायक और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता हुलास पांडे के कई ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई पटना, दिल्ली और बेंगलुरु सहित अन्य ठिकानों पर एक साथ की गई। ईडी की टीमें हुलास पांडे के पटना स्थित बेली रोड आवास और अन्य संपत्तियों पर पहुंचीं। इसके साथ ही बेंगलुरु और दिल्ली में भी उनके ठिकानों की तलाशी ली गई। छापेमारी के दौरान ईडी के अधिकारी कई अहम दस्तावेजों और अन्य साक्ष्यों की जांच कर रहे हैं। इस कार्रवाई से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हड़कंप मच गया है। ईडी की यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और आर्थिक अनियमितताओं की जांच के तहत की गई है। सूत्रों के मुताबिक, हुलास पांडे पर अवैध संपत्ति अर्जित करने और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप हैं। ईडी की टीम उन दस्तावेजों और संपत्तियों की जांच कर रही है, जो इन आरोपों की पुष्टि कर सकते हैं। हुलास पांडे बिहार की राजनीति में बाहुबली नेता के रूप में जाने जाते हैं। वह लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) से जुड़े हैं और पूर्व में विधायक रह चुके हैं। अपने राजनीतिक सफर के दौरान वह कई बार विवादों में घिरे रहे हैं। उनके प्रभाव और रसूख के कारण वह राज्य में एक चर्चित चेहरा हैं। ईडी की इस कार्रवाई ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इसे लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ नेताओं ने इसे केंद्र सरकार द्वारा विपक्ष के नेताओं पर दबाव बनाने की रणनीति बताया है, जबकि अन्य ने कहा कि कानून के अनुसार कार्रवाई होनी चाहिए। इस छापेमारी ने आम जनता के बीच भी चर्चा को जन्म दिया है। लोग जानना चाहते हैं कि छापेमारी के पीछे क्या ठोस कारण हैं और क्या इसके बाद हुलास पांडे पर लगे आरोप सिद्ध होंगे। हुलास पांडे के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी एक बड़ा राजनीतिक और कानूनी घटनाक्रम है। यह कार्रवाई न केवल बिहार की राजनीति में, बल्कि देशभर में चर्चित हो गई है। अब सबकी नजरें ईडी की जांच और इससे जुड़े परिणामों पर टिकी हैं। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह घटना बिहार की राजनीति में एक बड़ा मोड़ ला सकती है।

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