December 4, 2025

सदन में तेजस्वी का सरकार पर हमला, कहा- शराबबंदी वाले राज्य में हर ब्रांड की शराब मिल रही, लगातार मर रहे लोग

पटना। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन में शराबबंदी का मुद्दा केंद्र में रहा। विपक्ष ने शराबबंदी की सफलता पर गंभीर सवाल उठाए। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शराबबंदी कानून को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी केवल नाम की है, क्योंकि यहां हर ब्रांड की शराब उपलब्ध है और इसे रोकने के बजाय पुलिस खुद इसमें संलिप्त नजर आती है। सत्र के दौरान सरकार ने स्वीकार किया कि जहरीली शराब से बिहार में अब तक 156 लोगों की मौत हुई है। सरकार के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि ये आंकड़े केवल तीन महीनों के हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि शराबबंदी कानून पूरी तरह विफल हो चुका है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गरीब लोगों पर कार्रवाई की जाती है जबकि बड़े और प्रभावशाली लोगों को छोड़ दिया जाता है। तेजस्वी ने कहा कि पुलिस अधिकारियों द्वारा शराब के ट्रकों को मंजिल तक पहुंचाने की घटनाएं आम हो चुकी हैं। उनका यह बयान सरकार के लिए बेहद असहज स्थिति पैदा करने वाला था। इसके साथ ही, उन्होंने शराबबंदी के नाम पर गरीबों के खिलाफ हो रही कार्रवाई को “दमनकारी” करार दिया। सरकार ने सदन में 2016 से लागू शराबबंदी के बाद से अब तक जहरीली शराब से 156 मौतों का आंकड़ा प्रस्तुत किया। तुलना के लिए यह भी बताया गया कि 1998 से 2015 तक, जब शराबबंदी लागू नहीं थी, तब 108 लोगों की मौत हुई थी। इन आंकड़ों ने विपक्ष को सवाल उठाने का एक और मौका दिया। तेजस्वी यादव ने इन आंकड़ों को शराबबंदी की विफलता का प्रमाण बताया और कहा कि सरकार जनता को गुमराह कर रही है। सत्र के दौरान भूमि सुधार विभाग ने बेतिया राज की संपत्ति के अधिग्रहण के लिए एक विधेयक पेश किया। इस विधेयक के पारित होने के बाद, बेतिया राज की 7960 करोड़ रुपये की संपत्ति बिहार सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ जाएगी। यह संपत्ति बिहार के पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में फैली हुई है। सरकार का कहना है कि इस कदम से बेतिया राज की संपत्ति का बेहतर प्रबंधन और विकास सुनिश्चित होगा। वर्तमान में, इन संपत्तियों की देखरेख के लिए एडीएम रैंक के अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है। विधेयक पर चर्चा से यह स्पष्ट है कि सरकार भूमि सुधार की दिशा में सक्रिय कदम उठा रही है।
शीतकालीन सत्र में विरोध प्रदर्शन और हरी टोपी का दृश्य
विधानसभा के बाहर विपक्ष ने 65% आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुख्य द्वार के बजाय दूसरे गेट से विधानसभा में प्रवेश करना पड़ा। इस दौरान तेजप्रताप यादव हरी टोपी पहनकर सदन में पहुंचे, जो उनका एक अलग अंदाज दिखाता है।
सरकार के सामने बढ़ती चुनौतियां
शराबबंदी को लेकर विपक्ष के तीखे हमलों ने नीतीश कुमार सरकार को घेर लिया है। शराबबंदी कानून को उनकी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया गया था, लेकिन लगातार हो रही मौतों और शराब की उपलब्धता ने इस दावे को कमजोर कर दिया है। तेजस्वी यादव के आरोप, कि पुलिस खुद शराब के अवैध धंधे में शामिल है, इस मुद्दे को और गंभीर बनाते हैं। यह आरोप पुलिस और प्रशासन की साख पर भी सवाल खड़े करता है।
विपक्ष की आक्रामक रणनीति
सदन के बाहर आरक्षण की मांग और अंदर शराबबंदी का मुद्दा उठाकर विपक्ष ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्ष ने इस सत्र का उपयोग सरकार की नीतियों और उनकी विफलताओं को उजागर करने के लिए किया। बिहार में शराबबंदी को सफल बनाने के लिए केवल कानून बनाना काफी नहीं है। इसे प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए सख्त निगरानी, प्रशासनिक सुधार और पारदर्शिता आवश्यक है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि गरीब और कमजोर वर्गों के बजाय असली अपराधियों पर कार्रवाई हो। इसके अलावा, बेतिया राज की संपत्तियों के अधिग्रहण जैसे कदम राज्य के आर्थिक विकास में मददगार हो सकते हैं। हालांकि, इन सुधारों के साथ सरकार को विपक्ष के तीखे हमलों का सामना करने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी। शीतकालीन सत्र में शराबबंदी और अन्य मुद्दों पर हुई तीखी बहस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार की राजनीति में आने वाले दिनों में यह मुद्दे अहम बने रहेंगे।

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