September 30, 2025

लैंड फॉर जॉब मामले में 13 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होगा लालू परिवार, अदालत ने जारी किया आदेश

नई दिल्ली/पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार कानूनी पचड़े में फंसता नजर आ रहा है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लैंड फॉर जॉब मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव समेत पूरे परिवार को 13 अक्टूबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
मामला क्या है
यह केस उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक देश के रेल मंत्री थे। सीबीआई की जांच के अनुसार, इस अवधि में रेलवे में नौकरी देने के बदले जमीन लेने का सौदा किया गया। आरोप है कि नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों के परिजनों ने अपनी जमीन लालू परिवार के नाम कर दी और इसके एवज में उन्हें नौकरी दी गई। खास बात यह है कि जमीनें मार्केट रेट से कई गुना कम कीमत पर खरीदी गईं, जिससे स्पष्ट रूप से हेरफेर का संदेह पैदा होता है।
सीबीआई के आरोप
सीबीआई का कहना है कि जमीनें सर्कल रेट पर दिखाई गईं, जबकि उस समय उनकी असली कीमत सर्कल रेट से चार से छह गुना ज्यादा थी। उदाहरण के तौर पर जांच एजेंसी ने बताया कि एक भूखंड जिसकी प्रचलित कीमत 4.21 लाख रुपये थी, उसे मात्र 3.75 लाख रुपये में राबड़ी देवी के नाम पर दर्ज किया गया। सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में दर्ज किया है कि यह पूरी साजिश योजनाबद्ध तरीके से रची गई थी।
जमीन और नौकरी का संबंध
जांच एजेंसी के अनुसार, ज्यादातर मामलों में जमीन ट्रांसफर नौकरी मिलने से पहले ही कर दी गई थी। कई बार तो गिफ्ट डीड तैयार कराकर यह दिखाया गया कि जमीन दान में दी गई है। यही नहीं, सीबीआई का दावा है कि लालू यादव के करीबी भल्ला यादव ने गांव-गांव जाकर लोगों से कहा कि यदि वे अपने परिजनों को रेलवे में नौकरी दिलवाना चाहते हैं तो उन्हें अपनी जमीन लालू परिवार के नाम करनी होगी।
नकद भुगतान का दावा
इस मामले में जमीन देने वाले कई लोगों ने बयान दिया है कि उन्हें जमीन के बदले लालू परिवार से नकद भुगतान मिला। हालांकि, जमीन के कागजों पर दिखाया गया मूल्य वास्तविक बाज़ार भाव से बहुत कम था। इससे साफ जाहिर होता है कि दस्तावेजों में हेरफेर कर कम कीमत दिखाने की कोशिश की गई थी।
आरोपियों में पूरा परिवार शामिल
सीबीआई ने इस मामले में सिर्फ लालू यादव और उनके बेटों को ही नहीं, बल्कि बेटियों को भी आरोपी बनाया है। खासकर सांसद मीसा भारती और हेमा यादव के खिलाफ भी चार्जशीट में नाम शामिल किया गया है। उन पर आरोप है कि नाममात्र की कीमत पर उनके नाम पर भी जमीनें ट्रांसफर की गईं।
चुनावी समय में बड़ा झटका
इस केस का असर सीधा-सीधा बिहार की सियासत पर पड़ सकता है। विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इस बीच लालू परिवार को कोर्ट से समन आना विपक्ष के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है। राजद जहां इस मामले को राजनीतिक साजिश बता रही है, वहीं भाजपा और जदयू इसे भ्रष्टाचार का प्रमाण मान रहे हैं।
अदालत की अगली कार्रवाई
राउज एवेन्यू कोर्ट ने साफ कर दिया है कि 13 अक्टूबर को लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को पेश होना अनिवार्य है। अगर वे अदालत में हाजिर नहीं होते तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी हो सकती है। अदालत के इस आदेश के बाद लालू परिवार की चिंता और बढ़ गई है। लैंड फॉर जॉब केस न सिर्फ कानूनी रूप से बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम माना जा रहा है। लालू परिवार को इसमें कोर्ट में अपनी सफाई पेश करनी होगी। चुनावी माहौल में यह मामला विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का बड़ा मुद्दा बन सकता है। अब देखना होगा कि 13 अक्टूबर को अदालत में पेशी के बाद इस केस की दिशा किस ओर जाती है और इसका असर बिहार की राजनीति पर कितना गहरा पड़ता है।

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