November 18, 2025

गया में लालू यादव ने पितरों का किया पिंडदान, तेजस्वी समेत पूरा परिवार मौजूद, विष्णुपद मंदिर में की पूजा

गया। राजद सुप्रीमो लालू यादव ने मंगलवार को गया स्थित प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर में अपने पितरों का पिंडदान किया। इस धार्मिक अनुष्ठान में उनके साथ उनकी पत्नी राबड़ी देवी, पुत्र तेजस्वी यादव, बहू राजश्री और बेटी कात्यायनी भी मौजूद रहीं। परिवार ने लगभग डेढ़ घंटे तक पूजा और तर्पण किया। इसके बाद लालू परिवार बोधगया के लिए रवाना हो गया। इस दौरान मंदिर में विशेष तैयारियां की गई थीं। तीर्थ पुरोहित शंभू नाथ ने पहले से ही पूजा के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली थीं।
पिंडदान में शामिल कुल और अनुष्ठान
तीर्थ पुरोहित शंभू नाथ ने बताया कि लालू यादव ने अपने कुलों का पिंडदान किया। इसमें उनके माता-पिता का भी वंश शामिल था। पिछले अवसर पर जब वे रेल मंत्री थे तब संक्षिप्त रूप से पिंडदान किया गया था, लेकिन इस बार इसे विस्तार से संपन्न किया गया। अस्वस्थ होने के बावजूद लालू यादव किसी तरह बैठकर पूजा में शामिल हुए। पुरोहित ने कहा कि यह पिंडदान श्रद्धा और परंपरा के अनुरूप संपन्न हुआ।
परिवार की भावनाएं
पिंडदान के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि पिताजी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, फिर भी उनकी इच्छा थी कि भगवान विष्णु के दर्शन किए जाएं। उन्होंने बताया कि गया मोक्ष और ज्ञान की धरती है, इसलिए यहां आकर पूजा करना महत्वपूर्ण है। तेजस्वी ने यह भी कहा कि पहली बार पूरा परिवार एक साथ इस अवसर पर गया है। परिवार की भावना और श्रद्धा साफ झलक रही थी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
जदयू एमएलसी नीरज कुमार ने इस धार्मिक अनुष्ठान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गया श्रद्धा का प्रतीक है, लेकिन लालू यादव का नाम खौफ से जुड़ा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि उम्मीद है कि लालू परिवार भ्रष्टाचार, वंशवाद और खौफ के राज का भी पिंडदान कर देगा ताकि बिहार की जनता सुकून से रह सके। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में चर्चा छेड़ दी है।
सुरक्षा और व्यवस्थाएं
इस अवसर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। मेला क्षेत्र में 6000 पुलिसकर्मी, अश्व पुलिस, बीएसएफ, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की तैनाती की गई। पूरा क्षेत्र 43 जोन और 339 सेक्टर में विभाजित किया गया। ड्रोन और वॉच टावर से निगरानी की जा रही है। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 102 शिविर और 80 हेल्थ सेंटर बनाए गए हैं, जिनमें हर प्रमुख वेदी पर डॉक्टर, नर्स और वार्ड बॉय की व्यवस्था है। अस्पतालों में 70 बेड आरक्षित किए गए हैं।
यात्रा की सुविधा
पितृपक्ष मेला में शामिल होने के लिए रेल, हवाई और बस सेवा उपलब्ध है। गया एयरपोर्ट से दिल्ली और कोलकाता के लिए रोज दो-दो फ्लाइटें चलती हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से ट्रेनें सीधे गयाजी पहुंचती हैं। पटना से भी रोजाना छह ट्रेनें चलती हैं। झारखंड और पश्चिम बंगाल से निजी बस सेवा उपलब्ध है, जबकि सरकार द्वारा बस सेवा भी संचालित की जा रही है। इस प्रकार गया में धार्मिक आयोजन को भव्य और सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी है। वहीं लालू परिवार ने श्रद्धा और परंपरा का पालन करते हुए अपने पितरों के लिए पिंडदान कर धार्मिक कर्तव्य का निर्वाह किया।

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