अंबेडकर के अपमान पर पूरे देश से माफी मांगे लालू, गोबर खाकर करना चाहिए प्रायश्चित : गिरिराज सिंह
पटना। पटना में एक बार फिर राजनीति का तापमान तेज हो गया है। इस बार केंद्र में हैं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह। डॉ. भीमराव अंबेडकर पर कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर गिरिराज सिंह ने लालू यादव पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इस टिप्पणी को दलित समुदाय का अपमान करार दिया और इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी की मांग की है।
गिरिराज सिंह का तीखा बयान
बेगूसराय से सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने लालू यादव पर हमला करते हुए कहा कि उनका असली चेहरा अब जनता के सामने आ चुका है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को देश का दलित समुदाय भगवान की तरह पूजता है और उनके बारे में अपमानजनक टिप्पणी करना करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा है। गिरिराज सिंह ने आगे कहा कि लालू यादव को गंगा किनारे जाकर बालू और गोबर खाकर प्रायश्चित करना चाहिए। अगर उन्हें हिंदू धर्म में आस्था नहीं है, तो फुलवारी शरीफ जाकर भी वह प्रायश्चित कर सकते हैं। उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा का विषय बन गया है और इस पर कई प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं।
परिवारवाद को लेकर भी उठाए सवाल
गिरिराज सिंह ने तेजस्वी यादव के उस बयान पर भी पलटवार किया, जिसमें उन्होंने भाजपा और अन्य दलों पर बोर्ड व आयोग में परिवारवाद का आरोप लगाया था। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “चोर, चोरी के खिलाफ बोल रहा है।” गिरिराज सिंह ने राजद पर परिवारवाद की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि लालू यादव ने पहले अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया, फिर बेटी को सांसद बनवाया और अब बेटों को सत्ता की कुर्सी पर बैठा दिया है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या बिहार में और कोई योग्य यादव नहीं है जिसे मुख्यमंत्री बनाया जा सके? उनका कहना था कि राजद एक परिवार की पार्टी बन चुकी है, जो लोकतंत्र के मूल्यों के विपरीत है।
राज्य अनुसूचित जाति आयोग का नोटिस
इस पूरे विवाद ने और भी बड़ा रूप तब ले लिया जब राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने लालू प्रसाद यादव को नोटिस जारी किया। आयोग ने उन्हें कथित अपमानजनक टिप्पणी पर जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है। साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो उनके खिलाफ अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। यह नोटिस राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे राजद की छवि दलितों के बीच प्रभावित हो सकती है। यह वर्ग बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है और किसी भी दल के लिए उनका समर्थन काफी मायने रखता है।
राजनीति में नया मोड़
यह पूरा घटनाक्रम बिहार की राजनीति में नया मोड़ लेकर आया है, खासकर ऐसे समय में जब विधानसभा चुनावों की चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। गिरिराज सिंह जैसे प्रभावशाली नेता का इस तरह से तीखा हमला और अनुसूचित जाति आयोग की कार्रवाई, राजद के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर सकती है। लालू यादव की ओर से अभी तक इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और वह अंबेडकर जी का हमेशा सम्मान करते रहे हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर दिए गए बयान पर उठे विवाद ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि भारतीय राजनीति में संवेदनशील मुद्दों पर की गई कोई भी टिप्पणी तुरंत बड़े विवाद का रूप ले सकती है। गिरिराज सिंह के बयानों ने इसे और अधिक गंभीर बना दिया है। आगामी समय में यह देखना रोचक होगा कि लालू यादव इस स्थिति से कैसे निपटते हैं और राजनीतिक पार्टियाँ इसे चुनावी माहौल में किस तरह भुनाती हैं।


