पटना में पोस्टर से लालू परिवार पर हमला, लिखा- सनातन के दुश्मनों को नहीं भूलेगा बिहार, बवाल जारी

पटना। बिहार की राजनीति एक बार फिर पोस्टर वार की चपेट में आ गई है। इस बार राजधानी पटना में लगे एक पोस्टर ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को निशाने पर ले लिया है। इस पोस्टर में तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और राबड़ी देवी की तस्वीरें भी शामिल हैं, और इन सभी पर सनातन धर्म विरोधी होने का आरोप लगाया गया है।
पोस्टर में लगाए गए गंभीर आरोप
पटना की सड़कों पर लगे इस विवादित पोस्टर में लिखा गया है, “सनातन के दुश्मनों को नहीं भूलेगा बिहार।” इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि लालू प्रसाद यादव ने राम मंदिर आंदोलन के समय श्रीराम रथ यात्रा को रोककर सनातन धर्म का अपमान किया था। वहीं तेजस्वी यादव पर राम मंदिर का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया गया है।
लालटेन सिंबल और स्कैनर ने बढ़ाया विवाद
इस पोस्टर में राजद का चुनाव चिन्ह ‘लालटेन’ भी साफ तौर पर दिखाई दे रहा है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि पोस्टर सीधा-सीधा राष्ट्रीय जनता दल पर निशाना साधने के लिए बनाया गया है। इसके अलावा पोस्टर में एक क्यूआर कोड भी है, जिसके नीचे लिखा है – “जंगलराज का अत्याचार जानने के लिए यहां स्कैन करें।” इस तकनीकी प्रयोग ने इस पोस्टर को और अधिक चर्चा का विषय बना दिया है।
विपक्ष में मचा राजनीतिक तूफान
इस पोस्टर के लगते ही आरजेडी समर्थकों और नेताओं में आक्रोश फैल गया है। पार्टी नेताओं ने इसे सस्ती लोकप्रियता और धार्मिक भावनाओं को भड़काने की साजिश बताया है। उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या चुनाव नजदीक आते ही कुछ दल जानबूझकर इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं? समर्थकों में रोष, पुलिस ने शुरू की जांच
राजद समर्थकों ने इस पोस्टर को तुरंत हटाने की मांग की है और पुलिस प्रशासन से इसकी जांच कराने की बात कही है। पोस्टर किसके द्वारा लगाया गया है, इस बारे में अभी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि पुलिस ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच शुरू कर दी है।
चुनावी माहौल में धर्म का प्रवेश
बिहार में चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में इस प्रकार के पोस्टर एक बार फिर धर्म और राजनीति के मेल की ओर इशारा कर रहे हैं। विपक्ष इसे जनता को गुमराह करने की कोशिश बता रहा है, वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा हो सकता है। अब देखना यह होगा कि इस पोस्टर वार का असर आने वाले चुनावों पर कितना पड़ता है और क्या इससे सामाजिक सौहार्द्र में कोई खलल पड़ता है या नहीं। लेकिन इतना तय है कि बिहार की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है और आने वाले दिनों में ऐसे कई और घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।

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