शरद यादव के कारण ही लालू कभी बिहार के सीएम बने थे : शिवानंद तिवारी

पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री, जदयू के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में राजद मेंबर शरद यादव के निधन से बिहार ही नहीं देशभर के राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने उन्हें महान समाजवादी नेता बताते हुए कहा कि वे हमारे बड़े भाई थे। दरअसल शरद यादव के प्रयासों से ही लालू यादव बिहार की सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे। आरजेडी के बड़े नेता शिवानंद तिवारी ने उनके साथ बिताए पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि लालू शरद भाई के कारण ही मुख्यमंत्री बन पाए थे। राजद नेता शिवानंद तिवारी बताते हैं कि यह 1970 की बात है, 52 साल पहले की दिन, महीनों के हिसाब से यह बाकायदा एक उम्र होती है। मैंने शरद यादव जी के साथ इस उम्र को जिया। खूब जिया। जमकर यारी दोस्ती तो कायदे का मतभेद भी। उनके निधन की खबर से खुद को अचानक बहुत कमजोर समझने लगा हूं। वे मेरी ताकत थे। उन्होंने आगे लिखा कि बहुत सक्रिय संसदीय राजनीति के हिसाब से 1991 में उनका बिहार आगमन हुआ। और तब से वे यहीं के, हम सबके होकर रह गए। उन्होंने मधेपुरा से लोकसभा का चुनाव जीता। रमेंद्र कुमार रवि को टिकट मिला था। उनकी जगह शरद भाई को लड़ाया गया। यह जनता दल का दौर था। बीपी सिंह की सरकार गिर गई थी। लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रही। शिवानंद तिवारी आगे बताते हैं कि पार्टी के बड़े नेताओं में से कुछ लोग रामसुंदर दास को सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। रघुनाथ झा भी मैदान में आ गए। ऐसे में शरद भाई के कारण ही लालू प्रसाद मुख्यमंत्री बन पाए। शरद भाई ने जदयू का भी नेतृत्व किया। एनडीए के राष्ट्रीय संयोजक रहे। इस रूप में उनकी इच्छा सबको जोड़कर रखने की रही। हालांकि इसमें उनको कामयाबी नहीं मिली।
1990 में जब लालू यादव मुख्यमंत्री बने थे तो उसमें सबसे बड़ी भूमिका शरद यादव की रही थी : श्याम रजक
वहीं राजद के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री श्याम रजक बताते हैं कि 1990 में जब लालू यादव मुख्यमंत्री बने थे तो उसमें सबसे बड़ी भूमिका शरद यादव की रही थी। शरद यादव और चंद्रशेखर ने मिलकर लालू यादव के खिलाफ डमी कैंडिडेट रघुनाथ झा को खड़ा किया था। इसी सदाकत आश्रम के बृजमोहन स्मारक के पास विधायक दल की बैठक हुई थी और नेता चुना गया था। तब ज्यादा से ज्यादा लोगों ने लालू यादव के पक्ष में अपना समर्थन दिया था। शरद यादव का गुरुवार की रात 75 साल की उम्र में निधन हो गया था। उन्होंने दिल्ली के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी उम्र 75 साल थी। एमपी के बाबई तहसील के आंखमऊ गांव में शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। बतातें चलें कि शरद यादव का जन्म भले ही मध्यप्रदेश में हुआ था लेकिन वह लगभग तीन दशक तक बिहार की राजनीति के धुरी थे।

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