2017 के मानहानि मुक़दमे में बरी हुए लालू यादव, साक्ष्य के अभाव में एमपी-एमएलए कोर्ट ने दिया फैसला
पटना। मानहानिकारक वक्तव्य देने के एक मामले में पटना के एमपी/एमएलए अदालत की विशेष न्यायिक दंडाधिकारी सारिका बहालिया की अदालत ने शनिवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। शनिवार की प्रथम पाली में लालू प्रसाद यादव विशेष कोर्ट में सदेह उपस्थित थे परंतु बीमारी के कारण फैसला सुनाने से पहले ही वो चले गए। दूसरी पाली में उनके अधिवक्ता सुधीर सिन्हा व एजाज अहमद के अनुरोध पर विशेष अदालत ने अधिवक्तओं की उपस्थिति में यह निर्णय सुनाया। यह मामला परिवादी उदय कांत मिश्रा द्वारा वर्ष 2017 में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ परिवाद पत्र संख्या 45 30 (सी )/2017 अदालत में दायर किया गया था। दायर परिवाद पत्र में यह आरोप लगाया गया था कि लालू यादव 9 सितंबर 2017 को भागलपुर जा रहे थे तो परिवारी उदय कांत मिश्रा व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच संबंधों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस कारण परिवादी के मान व सम्मान को ठेस पहुंची थी। मामले में विशेष अदालत ने 19 मई 2018 को आईपीसी की धारा 500 में संज्ञान लिया था। मामले में परिवादी द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत न करने पर न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव को बरी करने का फैसला सुनाया।