मांझी का लालू पर हमला, कहा- जब कुंभ जाना फालतू तो जानवरों का चारा खाना पुण्य कैसे

पटना। बिहार की राजनीति में महाकुंभ को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने महाकुंभ को “फालतू” बताते हुए इस पर सवाल उठाए, जिसके बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने उनकी आलोचना करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। मांझी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से लालू यादव को जवाब देते हुए कहा, “कुंभ स्नान फालतू है और चारा खाना पुण्य है। आपके हिसाब से तो ये सही होगा, लालू प्रसाद जी? देश आपका जवाब चाहता है।” यह टिप्पणी लालू यादव के उस बयान के जवाब में थी, जिसमें उन्होंने दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के बाद महाकुंभ की उपयोगिता पर सवाल उठाए थे। लालू ने कहा था कि रेलवे की कुव्यवस्था के कारण यह हादसा हुआ और महाकुंभ को “फालतू” बताया था। लालू यादव के इस बयान ने बिहार की राजनीति को गर्मा दिया है। बीजेपी और एनडीए के नेताओं ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि लालू यादव ने महाकुंभ को “फालतू” बताकर न सिर्फ करोड़ों हिंदुओं की आस्था का अपमान किया है, बल्कि भारत की वैज्ञानिक परंपराओं की भी अवहेलना की है। सिन्हा ने यह भी बताया कि नासा के शोध के अनुसार, गंगा जल में बैक्टीरियोफेज होते हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं और पानी को प्राकृतिक रूप से शुद्ध रखते हैं। यूनेस्को ने भी महाकुंभ को ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ का दर्जा दिया है, जिसे दुनिया भारत की महान विरासत मानती है। महाकुंभ के दौरान गंगा जल के औषधीय गुण कई गुना बढ़ जाते हैं, जिससे स्नान करने वालों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। विजय सिन्हा ने कहा कि बिहार सनातन संस्कृति और वैज्ञानिक विरासत का सम्मान करता है और इसका अपमान करने वालों को कभी माफ नहीं करेगा। इस बहस के बीच, जीतन राम मांझी ने लालू यादव की आलोचना करते हुए उनके बयान को हास्यास्पद बताया। मांझी ने कहा कि यदि कुंभ स्नान फालतू है, तो जानवरों का चारा खाना पुण्य कैसे हो सकता है? उन्होंने लालू यादव से देश को जवाब देने की मांग की। इस पूरे विवाद ने बिहार की राजनीति में नई गर्मी ला दी है और दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस जारी है। महाकुंभ के महत्व को लेकर यह बहस न सिर्फ धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और वैज्ञानिक पहलुओं को भी उजागर करती है, जो भारत की समृद्ध विरासत का हिस्सा हैं।

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