November 21, 2025

महावीर मंदिर पहुंचा आचार्य कुणाल किशोर का पार्थिव शरीर, अंतिम दर्शन को लोगों की उमड़ी भीड़

पटना। पटना में धार्मिक और सामाजिक जगत की एक बड़ी शख्सियत, आचार्य किशोर कुणाल का अंतिम संस्कार सोमवार को किया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर उनके आवास से महावीर मंदिर लाया गया, जहां बड़ी संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। किशोर कुणाल के योगदान को याद करते हुए मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
महावीर मंदिर में अंतिम दर्शन
आचार्य किशोर कुणाल का पार्थिव शरीर महावीर मंदिर में रखा गया, ताकि श्रद्धालु उनके अंतिम दर्शन कर सकें। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को वैशाली जिले के कोनहारा घाट ले जाया जाएगा, जहां दोपहर 2 बजे अंतिम संस्कार संपन्न होगा। मंदिर परिसर में उनके परिवार, मित्र, राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के साथ हजारों श्रद्धालु उपस्थित हुए।
जीवन परिचय और योगदान
किशोर कुणाल एक पूर्व आईपीएस अधिकारी (1972 बैच, गुजरात कैडर) थे, जिन्होंने पुलिस सेवा छोड़कर सामाजिक और धार्मिक कार्यों को अपने जीवन का मिशन बनाया। वे महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव रहे और मंदिर के विकास व धार्मिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी अंतिम पुस्तक “रामो विग्रहवान धर्म” पर काम चल रहा था, जो उनके विचारों और धार्मिक दृष्टिकोण का परिचायक है।
अंतिम समय और निधन का कारण
रविवार सुबह 8 बजे हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हुआ। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें देर रात महावीर वात्सल्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 74 वर्ष की आयु में उनका निधन बिहार के धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति है।
राजनीतिक और सामाजिक शोक
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें कुशल प्रशासक और संवेदनशील अधिकारी बताते हुए उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, सांसद पप्पू यादव, और विभिन्न दलों के नेता उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि किशोर कुणाल का निधन उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है, क्योंकि वह उनके विद्यालय ज्ञान निकेतन से पढ़े हुए हैं।
जनता के बीच लोकप्रियता
आचार्य किशोर कुणाल ने अपने जीवनकाल में महावीर मंदिर के माध्यम से अनेक सामाजिक और धार्मिक कार्य किए, जो आज भी उनकी लोकप्रियता का प्रमाण हैं। उनके निधन से बिहार ने एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता और धर्म प्रेमी को खो दिया है। उनकी अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए, जो उनके जीवन और कार्यों के प्रति जनता की गहरी श्रद्धा को दर्शाता है।

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