आचार्य किशोर कुणाल पंचतत्व में विलीन: हाजीपुर में हुआ अंतिम संस्कार, पुत्र ने दी मुखाग्नि

पटना। आचार्य किशोर कुणाल, जो एक प्रसिद्ध पूर्व आईपीएस अधिकारी और धार्मिक-समाजसेवी थे, का 74 वर्ष की आयु में रविवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनकी अंतिम विदाई सोमवार को हाजीपुर के कौनहारा घाट पर हुई, जहां उनके पुत्र सायन कुणाल ने मुखाग्नि दी। यह क्षण उनके परिवार और प्रशंसकों के लिए बेहद भावुक था। उनका पार्थिव शरीर पटना के महावीर मंदिर में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था, जहां बड़ी संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। यह वही महावीर मंदिर है जिसे आचार्य किशोर कुणाल ने भव्यता प्रदान की थी। वे पटना में रहते हुए इस मंदिर की आरती में नियमित रूप से भाग लेते थे। अंतिम विदाई से पहले उनके पार्थिव शरीर को मंदिर की आरती भी दिखाई गई। इस दौरान बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने उनकी अर्थी को कंधा देकर सम्मान प्रकट किया। आचार्य किशोर कुणाल का जीवन बेहद प्रेरणादायक रहा। 1972 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने के बाद, उन्होंने पुलिस सेवा छोड़कर सामाजिक और धार्मिक कार्यों को अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका योगदान महावीर मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक के रूप में उल्लेखनीय है। इस ट्रस्ट के माध्यम से उन्होंने न केवल धार्मिक स्थलों का विकास किया बल्कि सामाजिक सेवा के कई कार्यों को भी अंजाम दिया। आचार्य किशोर कुणाल ने अपने जीवन में लेखन को भी प्राथमिकता दी। वे कई किताबों के लेखक थे और अपने निधन से पहले रामो विग्रहवान धर्म: नामक पुस्तक लिख रहे थे। यह उनकी अंतिम कृति होगी, जो उनके विचारों और जीवनदर्शन को दर्शाएगी। उनकी मौत के बाद उनके परिवार के साथ-साथ उनके प्रशंसकों में भी शोक की लहर दौड़ गई। बेटे और बहू का फूट-फूटकर रोना और महावीर मंदिर के विशेष द्वार से उन्हें श्रद्धांजलि देना उनके प्रति गहरे सम्मान और प्रेम को दर्शाता है। आचार्य किशोर कुणाल का जीवन न केवल प्रशासनिक क्षेत्र में बल्कि धार्मिक और सामाजिक सेवा में भी एक मिसाल रहा। उनके प्रयासों ने महावीर मंदिर को न केवल एक धार्मिक स्थल बल्कि एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित किया। उनके निधन से बिहार और देश ने एक ऐसा व्यक्तित्व खो दिया है, जिसने समाज के हर वर्ग के लिए कार्य किया। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।

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