मुजफ्फरपुर में 40 गांव का खतियान लापता, डिजिटाइजेशन का काम रुका, मचा हड़कंप

मुजफ्फरपुर। बिहार में सरकारी दफ्तरों से महत्वपूर्ण भूमि दस्तावेजों के गायब होने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। मुजफ्फरपुर जिले में 40 गांवों के खतियान रहस्यमयी तरीके से लापता हो गए हैं, जिससे स्थानीय रैयतों (किसानों और भू-स्वामियों) में हड़कंप मच गया है। सरकारी लापरवाही और प्रशासनिक अनदेखी के कारण यह समस्या विकराल रूप लेती जा रही है।
किन गांवों के खतियान हुए गायब?
मुजफ्फरपुर जिले में जिन 40 गांवों के खतियान गायब हुए हैं, उनमें शहरी और ग्रामीण दोनों इलाके शामिल हैं। इनमें सरैयागंज, सिकंदरपुर, शहबाजपुर, कन्हौली विशुनदत्त, बाड़ा जगनाथ और मुशहरी अंचल के 15 गांव प्रमुख हैं। इसके अलावा, बोचहां, कुढ़नी, सकरा, सरैया, औराई, मोतीपुर, पारू और साहेबगंज अंचलों के 25 गांवों के खतियान भी लापता हैं।
डिजिटलीकरण की प्रक्रिया हुई बाधित
बिहार सरकार पूरे राज्य में भूमि दस्तावेजों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया चला रही थी। इस कार्य के लिए एमएस कैपिटल बिजनेस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी को ठेका दिया गया था। जब इस एजेंसी ने स्कैनिंग का कार्य शुरू किया, तब पता चला कि कई गांवों के खतियान दस्तावेज मौजूद ही नहीं हैं। इसके बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हड़कंप मच गया और डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया रोक दी गई।
सरकारी कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल
राजस्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, कई दस्तावेजों में हेरफेर किया गया है। कुछ खतियान लापरवाही के कारण नष्ट हो चुके हैं, जबकि कुछ दस्तावेजों को जानबूझकर गायब किया गया है। इससे इस बात की आशंका बढ़ गई है कि सरकारी कर्मचारी और भू-माफिया इस मिलीभगत में शामिल हो सकते हैं।
खतियान गायब होने से उपभोक्ताओं की परेशानी
खतियान एक कानूनी दस्तावेज होता है, जो यह प्रमाणित करता है कि किसी भूमि का मालिक कौन है। इसके बिना न तो सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है और न ही कानूनी रूप से भूमि का स्वामित्व सिद्ध किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति के पास खतियान नहीं है, तो वह अपनी जमीन पर दावा कमजोर पड़ने के कारण मुकदमों में उलझ सकता है। इसके अलावा, भूमि विवाद बढ़ने की भी संभावना है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और कार्रवाई
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी जिलाधिकारियों को लापता दस्तावेजों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी सुबत सेन से जिले के 40 गांवों के खतियान की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। हालांकि, अब तक किसी भी स्तर पर इस मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। इससे प्रशासन की इच्छाशक्ति पर सवाल उठ रहे हैं।
ऐतिहासिक रूप से खतियान का महत्व
खतियान का इतिहास ब्रिटिश शासन से जुड़ा हुआ है, जब भूमि प्रबंधन और राजस्व व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए इसे लागू किया गया था। आज भी यह भारतीय भूमि प्रबंधन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके गायब होने से पूरे भूमि स्वामित्व तंत्र पर असर पड़ सकता है।
आगे की चुनौतियां और समाधान
बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार इस मामले में ठोस कदम उठाएगी या यह मामला भी अन्य सरकारी घोटालों की तरह समय के साथ दब जाएगा? क्या रैयतों को उनका कानूनी हक मिलेगा या वे कागजी कार्रवाई और मुकदमों में उलझे रहेंगे? सरकार को चाहिए कि वह डिजिटलाइजेशन प्रक्रिया को तेज करे और लापता खतियानों की पुनः खोजबीन सुनिश्चित करे। इसके अलावा, दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। बिहार में भूमि दस्तावेजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनना होगा।
