November 23, 2025

10 अक्टूबर को बनेगा करवा चौथ का त्यौहार, सुहागिन महिलाएं करेगी व्रत, चांद की पूजा का होगा विशेष महत्व

नई दिल्ली। करवा चौथ का त्योहार हिंदू परंपराओं में एक बेहद महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए होता है, जो अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ व्रत रखती हैं। इस वर्ष करवा चौथ का पर्व 10 अक्टूबर को देशभर में मनाया जाएगा।
करवा चौथ का धार्मिक महत्व
करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती और प्रेम के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत से पति की आयु लंबी होती है और विवाह जीवन में आनंद और संतोष बना रहता है। विवाहित महिलाएं यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला रखती हैं, यानी दिनभर न तो भोजन करती हैं और न पानी पीती हैं।
व्रत और पूजा की विधि
इस दिन की शुरुआत सुबह भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी को मन से नमस्कार कर जल पीकर होती है। इसके बाद महिलाएं पूरे दिन व्रत करती हैं। शाम के समय करवा माता की पूजा की जाती है, जिसमें सभी महिलाएं 16 श्रृंगार करके एक स्थान पर एकत्रित होती हैं। पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनाई जाती है, जो इस पर्व का मुख्य हिस्सा है।
चांद की पूजा और व्रत का समापन
करवा चौथ पर व्रत का समापन तभी होता है जब चंद्रोदय होता है। रात में चांद निकलने पर महिलाएं छलनी के माध्यम से चांद के दर्शन करती हैं और उसे अर्घ्य अर्पित करती हैं। इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ा जाता है। चांद की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि माना जाता है कि यह शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है।
चंद्रोदय और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ का चंद्रोदय समय दिल्ली के आधार पर रात 08 बजकर 13 मिनट का है। हालांकि शहरों के अनुसार इसमें थोड़ी भिन्नता हो सकती है। चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 07 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। 10 अक्टूबर को करवा चौथ पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 57 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। इस प्रकार महिलाओं के पास 1 घंटा 14 मिनट का समय रहेगा जिसमें वे पूजा कर सकती हैं।
तिथि और समय का महत्व
हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। व्रत का सही समय और मुहूर्त पंचांग के अनुसार निर्धारित होता है ताकि पूजा और व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके। इस बार तिथि और समय अत्यंत शुभ माने जा रहे हैं।
महिलाओं की भावनाएं और उत्साह
करवा चौथ का इंतजार विवाहित महिलाओं को सालभर रहता है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक भी है। इस दिन महिलाएं विशेष साज-सज्जा करती हैं, पारंपरिक परिधान पहनती हैं और अपने पति के लिए व्रत रखती हैं।
क्षेत्रीय भिन्नताएं
हालांकि करवा चौथ पूरे भारत में लोकप्रिय है, लेकिन इसके रीति-रिवाज और समय में क्षेत्रीय अंतर हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, अलग-अलग शहरों में चांद के निकलने का समय भिन्न होता है, इसलिए महिलाएं अपने क्षेत्र का समय देखकर व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ का पर्व न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह अवसर पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को गहरा करने वाला पर्व है। इस बार 10 अक्टूबर को जब देशभर की महिलाएं 16 श्रृंगार के साथ करवा माता और चंद्रदेव की पूजा करेंगी, तो यह न केवल उनके जीवन में खुशियां लेकर आएगा, बल्कि पारिवारिक रिश्तों को भी मजबूत बनाएगा।

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