कब्रिस्तानो में लगे रहे ताले,घरों में हुई इबादत,कोरोना के कहर के बीच लगे लॉक डाउन में कब्रो पर नही पढ़ी गयी फातिहा

फुलवारीशरीफ।(अजित यादव)देश व दुनिया भर में कोरोना के कहर के बीच लगे लॉक डाउन में शब ए बारात का पर्व मुस्लिम धर्मावलंबियों ने अपने अपने घरों में ही अल्लाह की इबादत की और मरहूम पुरखो बुजुर्गों के लिए मगफिरत की दुआएं मांगी। समाज व आम जन को कोरोना से बचाने के लिये शब ए बारात पर की गई उलेमाओं ,प्रशासन और धार्मिक संस्थाओं एदारो की अपील बखूबी रंग लायी और लोगो ने कब्रिस्तान न जाकर घरों से ही अल्लाह ताला से कोरोना को हराने पूरी मानव जाति को इस जानलेवा कोरोना के कहर से बचाने के लिए विशेष दुआएं मांगी गई । शब ए बारात पर कब्रिस्तानों में लटके रहे ताले , न हुई मजारों व कब्रो की साफ सफाई और न सजावट । फुलवारी शरीफ के शहरी व ग्रामीण इलाके में घरों में ही फातेहा पढ़ने की रस्म आदायगी की गई और कुरान शरीफ की तिलावत में लीन बच्चे महिलाएं बुजुर्ग युवा रात भर अल्लाह ताला से दुआएं मांगते रहे ।

शब-ए-बारात मुसलमान समुदाय के लोगों के लिए इबादत की रात होती है। माना जाता है कि इस रात को अल्लाह की रहमतें बरसती हैं। इस बार शब-ए-बारात लॉकडाउन के बीच में पड़ी है। ऐसे में लोग कब्रिस्तान में न जाकर घरों में ही खुदा की इबादत की । प्रशासन ने भी इलाके के इबादतगाह और क़ब्रिस्तान के इर्द गिर्द गश्त करती रही ताकि इबादत के बहाने लोग वहां इकट्ठा न हो ।
शब-ए-बारात उर्दू तारीख के अनुसार शाबान 15 की शब में होता है ये शबे कद की पूरी रात अल्लाह से दुआ मांगना इबादत करना और अल्लाह से रहमत मांगनी की रात है। अपने गुनाह से माफी मांगनी चाहिए और आपने मरहूमिन की रूह की शांति के लिए दुआ मांगनी चाहिए।