December 10, 2025

जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि पर पटना में राजकीय कार्यक्रम, मुख्यमंत्री ने माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि

पटना। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि के अवसर पर मंगलवार को राजधानी पटना में राजकीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। जयप्रकाश नारायण, जिन्हें भारत में इमरजेंसी के समय इंदिरा गांधी की सरकार को चुनौती देने वाले महान नेता के रूप में जाना जाता है, को श्रद्धांजलि देने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्तियों ने पटना के गांधी मैदान में स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जीवन और योगदान
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सिताब दियारा में हुआ था। उनके पिता का नाम देवकी बाबू और माता का नाम फूलरानी देवी था। जयप्रकाश को बचपन में ‘बऊल जी’ के नाम से बुलाया जाता था, जो उनकी माता ने उन्हें दिया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और बाद में आपातकाल के समय उनके द्वारा किया गया संघर्ष भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है। जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ 1970 के दशक में सम्पूर्ण क्रांति का नारा दिया था। उन्होंने देशभर में इंदिरा गांधी के शासन के खिलाफ जनआंदोलन चलाया, जिसने भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत की। उनके नेतृत्व में सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन ने न केवल इंदिरा गांधी की सरकार को सत्ता से हटाया, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की पुनः स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
नीतीश बोले- उनका समाजवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों का विचार हमें आज भी प्रेरित करता है
जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उनका समाजवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित विचार हमें आज भी प्रेरित करता है। नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि वे स्वयं जयप्रकाश नारायण के विचारों और आंदोलनों से प्रेरित होकर राजनीतिक जीवन में आए थे। उन्होंने कहा, “हम लोग जयप्रकाश नारायण जी के सिद्धांतों को आज भी आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यह आवश्यक है कि आज की युवा पीढ़ी भी उनके विचारों और सिद्धांतों को समझे और आत्मसात करे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व ने भारत में लोकतंत्र और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए जो संघर्ष किया, वह आज भी प्रासंगिक है। इसलिए हमें उनके विचारों को न केवल याद रखना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने जीवन में अपनाने का प्रयास भी करना चाहिए।
प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री जनक राम, सांसद संजय कुमार झा, विधान पार्षद संजय कुमार सिंह (उर्फ गांधीजी), पूर्व मंत्री श्याम रजक, विक्रम कुंवर और बिहार राज्य नागरिक परिषद के पूर्व महासचिव अरविंद कुमार सिंह सहित कई प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों ने भाग लिया। इन सभी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया और उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों ने जयप्रकाश नारायण के योगदान को याद किया और उनके द्वारा देश के लिए किए गए त्याग और बलिदान को नमन किया। कार्यक्रम के दौरान सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग की ओर से सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी आयोजन किया गया। इस दौरान आरती पूजन, भजन-कीर्तन, बिहार गीत और देशभक्ति गीतों का गायन किया गया, जिसने इस मौके को और भी विशेष बना दिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल जयप्रकाश नारायण को श्रद्धांजलि देना था, बल्कि उनके आदर्शों और सिद्धांतों को जनमानस में जीवित रखना भी था।
जयप्रकाश नारायण का योगदान
जयप्रकाश नारायण का सम्पूर्ण जीवन देश की सेवा और समाज की भलाई के लिए समर्पित था। उन्होंने समाजवाद, स्वराज और लोकतंत्र के सिद्धांतों पर आधारित एक ऐसी राजनीति की नींव रखी जो जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए थी। उनका सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन भारतीय राजनीति का एक मील का पत्थर है, जिसने लोकतंत्र और जनसहभागिता की महत्वपूर्णता को देश के सामने रखा। 1979 में उनका निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और उनका संघर्ष आज भी जीवंत हैं। जयप्रकाश नारायण ने न केवल इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया, बल्कि उन्होंने एक ऐसा मार्ग दिखाया जिसने भारत में लोकतंत्र और स्वतंत्रता को सुदृढ़ किया। जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि पर आयोजित यह कार्यक्रम उनके योगदान को याद करने और उनके विचारों को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी विशेष बना दिया। लोकनायक के आदर्श और सिद्धांत हमें यह सिखाते हैं कि लोकतंत्र और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए, और यह कार्यक्रम इस संदेश को फैलाने में सफल रहा।

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