बिहार में संयुक्त टास्क फोर्स का गठन जल्द, मानव तस्करी और विदेशी घुसपैठ पर लगेगी लगाम

- सीमावर्ती जिलों में विशेष सतर्कता, केंद्र और राज्य स्तर पर समन्वय की पहल
पटना। बिहार में मानव तस्करी और अवैध विदेशी घुसपैठ पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार ने अहम कदम उठाया है। जल्द ही एक उच्चस्तरीय संयुक्त टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा, जो विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में मानव तस्करी रोकने के साथ-साथ पड़ोसी देशों से हो रही घुसपैठ पर निगरानी रखेगी। इस टास्क फोर्स में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासनिक इकाइयों के अलावा प्रमुख गैर-सरकारी संगठनों की भी सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। बिहार पुलिस महानिदेशक द्वारा अनुमोदित निर्देशों में यह स्पष्ट किया गया है कि मानव तस्करी का शिकार बने किसी भी विदेशी महिला या बच्चे को, यदि वे वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में पाए जाते हैं, तो उन पर विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत अभियोजन नहीं चलाया जाएगा—बशर्ते जांच में यह सिद्ध हो कि वे अपनी इच्छा से भारत नहीं आए और किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं रहे।
अभियोजन में राहत, मानवीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता
नए दिशा-निर्देशों के तहत यदि किसी पीड़ित के खिलाफ पहले से विदेशी नागरिक अधिनियम या अन्य धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल हो चुका है, तो अभियोजन पक्ष को उसे वापस लेने की प्रक्रिया प्रारंभ करनी होगी। इस कदम का उद्देश्य मानव तस्करी के शिकार व्यक्तियों को दोहरी पीड़ा से बचाना और उन्हें पुनर्वास की दिशा में सहयोग देना है।
संवेदनशील जिलों में बढ़ेगी निगरानी
सूत्रों के अनुसार पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जैसे नेपाल और बांग्लादेश सीमा से सटे जिलों को *विशेष रूप से संवेदनशील* घोषित किया गया है। इन जिलों के डीएम और एसपी को अपने-अपने क्षेत्र में नेपाल और बांग्लादेश के समकक्ष अधिकारियों से समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया गया है। इस प्रक्रिया में सशस्त्र सीमा बल, कस्टम विभाग, जिला प्रशासन और स्थानीय NGOs की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
विदेश मंत्रालय को दी जाएगी तत्काल सूचना
यदि किसी विदेशी नागरिक को मानव तस्करी से संबंधित अपराध में गिरफ्तार किया जाता है, तो संबंधित एजेंसियों को विदेश मंत्रालय की सीपीवी शाखा को तुरंत सूचित करना होगा। यह शाखा मंत्रालय स्तर पर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।
संयुक्त कार्ययोजना तैयार होगी
संयुक्त टास्क फोर्स एक समन्वित कार्ययोजना और रणनीति तैयार करेगी, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट बिहार सरकार का गृह विभाग भारत सरकार को सौंपेगा। यह रिपोर्ट राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर नीति निर्धारण में सहायक होगी।
नए कदम से तस्करी रोकथाम को मिलेगी मजबूती
राज्य सरकार के इस फैसले को मानव तस्करी के विरुद्ध एक ठोस प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। सीमावर्ती जिलों में पिछले वर्षों में तस्करी और अवैध आव्रजन की घटनाएं लगातार चिंता का विषय रही हैं। संयुक्त टास्क फोर्स के गठन और मानवीय दृष्टिकोण के साथ लागू किए जा रहे नए दिशा-निर्देशों से इस गंभीर समस्या पर प्रभावी नियंत्रण की उम्मीद की जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि यह पहल कानून, सुरक्षा और मानव अधिकारों के संतुलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले समय में बिहार को मानव तस्करी के विरुद्ध एक मॉडल राज्य के रूप में स्थापित कर सकती है।
