September 11, 2024

क्रीमीलेयर मामले में मांझी ने बयान बदला, कहा- सरकार लागू नहीं करेगी, यह सही फैसला

पटना। जीतनराम मांझी, जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख हैं, ने हाल ही में क्रीमीलेयर मुद्दे पर अपना बयान बदला है। पहले उन्होंने कहा था कि बिहार सरकार क्रीमीलेयर लागू कर सकती है, लेकिन अब उनका कहना है कि सरकार इसे लागू नहीं करेगी, और यह सही फैसला है। शनिवार को केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी पटना पहुंचे और पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजाति में क्रीमीलेयर के प्रावधान को गलत बताया। क्रीमीलेयर का मुद्दा विशेष रूप से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण से संबंधित है। क्रीमीलेयर की अवधारणा के तहत, उन लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता जो आर्थिक रूप से संपन्न हैं। हालांकि, मांझी ने अब यह कहा है कि क्रीमीलेयर को लागू न करने का निर्णय सही है, क्योंकि इसका सीधा असर इन वर्गों के गरीब और जरूरतमंद लोगों पर पड़ेगा। मांझी के इस बयान का राजनीतिक महत्व भी है। बिहार की राजनीति में मांझी एक महत्वपूर्ण दलित नेता माने जाते हैं, और उनका यह बयान संभावित रूप से राज्य के दलित समुदाय के बीच उनकी स्थिति को मजबूत कर सकता है। मांझी के इस नए रुख से यह भी स्पष्ट होता है कि वह बिहार में दलित और पिछड़े वर्ग के मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मांझी का मानना है कि अगर क्रीमीलेयर लागू किया गया, तो इसके तहत आने वाले लोगों को आरक्षण के लाभों से वंचित किया जा सकता है, जिससे समाज के निचले तबके के लोगों को नुकसान हो सकता है। यह उन लोगों के लिए एक बड़ा झटका होगा जो पहले से ही सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। बिहार में ओबीसी और एससी/एसटी वर्ग की आबादी काफी बड़ी है, और ये वर्ग चुनावी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। मांझी के बयान से यह संकेत मिलता है कि वह इन समुदायों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनके पक्ष में खड़े रहना चाहते हैं। यह भी देखा जा सकता है कि मांझी का यह रुख आने वाले चुनावों में राजनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे उन्हें दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं का समर्थन मिल सकता है। मांझी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में विभिन्न राजनीतिक दल सामाजिक न्याय और आरक्षण के मुद्दे पर अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं। मांझी के इस बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि वह इस मुद्दे पर राज्य सरकार के साथ खड़े हैं, और सरकार के फैसले का समर्थन कर रहे हैं। इससे यह भी संकेत मिलता है कि मांझी और उनकी पार्टी भविष्य में एनडीए गठबंधन के साथ अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। मांझी का क्रीमीलेयर मुद्दे पर यह बदला हुआ रुख न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बिहार की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि मांझी ने इस मुद्दे पर गहन विचार करने के बाद ही अपना फैसला बदला है। उन्होंने इस बात को समझा है कि क्रीमीलेयर लागू करने से समाज के निचले तबके के लोगों को नुकसान हो सकता है, और इसलिए उन्होंने इसे लागू न करने के फैसले को सही ठहराया है। कुल मिलाकर, मांझी का यह बयान एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश देता है, जो कि बिहार की राजनीति में आने वाले समय में बड़ा प्रभाव डाल सकता है। बता दें कि जब सुप्रीम कोर्ट ने क्रीमी लेयर को लेकर निर्णय लिया था तब जीतन राम मांझी ने कहा था कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन में हैं। ये लागू होना चाहिए। क्योंकि जो अमीर है वो अमीर होते जा रहे हैं। और जो गरीब है वो गरीब होते जा रहे हैं। साथ ही चिराग पासवान के द्वारा आरक्षण पर दिए बयान को लेकर जीतन राम मांझी ने कहा ये सामाजिक बात है, बाबा भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि लगातार समीक्षा होनी चाहिए की कौन आगे बढ़ा और आगे नहीं बढ़ा,आज 76 वर्ष हो गया 5 से 7 बार समीक्षा होनी चाहिए थी। इस बात की चर्चा क्यों भूल जाते हैं जो लोग आज कह रहे हैं।

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