आरबीआई ने जीजामाता महिला सहकारी बैंक का लाइसेंस किया रद्द, पर्याप्त पूंजी न होने के कारण बैंकिंग परिचालन बंद
सतारा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सतारा स्थित जीजामाता महिला सहकारी बैंक का बैंकिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। आरबीआई ने यह निर्णय बैंक की अपर्याप्त पूंजी और वित्तीय संभावनाओं की कमी को देखते हुए लिया। इसके चलते बैंक ने 7 अक्टूबर, 2025 से अपना सभी बैंकिंग परिचालन बंद कर दिया।
बैंक का इतिहास और लाइसेंस की स्थिति
जीजामाता महिला सहकारी बैंक का बैंकिंग लाइसेंस पहले 30 जून, 2016 को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद बैंक ने आरबीआई के निर्णय के खिलाफ अपील की। अपील के नतीजे में 23 अक्टूबर, 2019 को बैंक का लाइसेंस बहाल कर दिया गया था। आरबीआई ने अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्देश दिया कि बैंक की वित्तीय स्थिति का आकलन करने के लिए वित्त वर्ष 2013-14 के लिए बैंक का फॉरेंसिक ऑडिट कराया जाए। हालांकि, बैंक की ओर से ऑडिट में पर्याप्त सहयोग नहीं किया गया और ऑडिट पूरा नहीं हो पाया। इस दौरान बैंक की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ती रही और आरबीआई ने यह निष्कर्ष निकाला कि बैंक के पास अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध नहीं हैं।
बैंकिंग परिचालन पर रोक और परिसमापक की नियुक्ति
आरबीआई ने राज्य के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से अनुरोध किया है कि बैंक को बंद करने का आदेश जारी किया जाए और परिसमापक नियुक्त किया जाए। परिसमापक वह व्यक्ति या संस्था होती है जिसे बैंक या कंपनी को बंद करने के दौरान संपत्तियों का प्रबंधन करने, लेनदारों का भुगतान सुनिश्चित करने और शेयरहोल्डर्स को बची हुई राशि वितरित करने के लिए नियुक्त किया जाता है। बैंकिंग ऑपरेशन बंद होने के बाद परिसमापक जमा स्वीकार करने, लेनदेन करने और जमा राशि के पुनर्भुगतान जैसी सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाएगा। यह कदम बैंक की वित्तीय जिम्मेदारियों को नियंत्रित तरीके से निपटाने और जमाकर्ताओं के हित सुरक्षित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
जमाकर्ताओं की सुरक्षा और बीमा
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि परिसमापन प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक जमाकर्ता अपने जमा बीमा के तहत और डीआईसीजीसी (डिपॉजिट इन्श्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन) से 5 लाख रुपये तक की राशि पर इंश्योरेंस क्लेम कर सकता है। बैंक के कुल जमा राशि का 94.41 प्रतिशत 30 सितंबर, 2024 तक डीआईसीजीसी बीमा के तहत कवर किया गया था। इससे स्पष्ट होता है कि जमाकर्ताओं की पूंजी का एक बड़ा हिस्सा बीमा सुरक्षा के तहत सुरक्षित है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से न केवल सतारा में बल्कि पूरे महाराष्ट्र के सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में एक चेतावनी संदेश गया है। अन्य सहकारी बैंक के जमाकर्ताओं को सतर्क रहने और केवल आरबीआई और डीआईसीजीसी मान्यता प्राप्त बैंकिंग सेवाओं का ही उपयोग करने की सलाह दी गई है।
वित्तीय स्थिति और ऑडिट की भूमिका
आरबीआई ने यह निर्णय बैंक की वित्तीय स्थिति के लगातार बिगड़ने और बैंक की ओर से ऑडिट में सहयोग न करने को ध्यान में रखते हुए लिया। बैंक की संपत्ति और ऋणों की स्थिति का आकलन करने में ऑडिट एक महत्वपूर्ण उपकरण होता है। फॉरेंसिक ऑडिट न होने के कारण बैंक की वास्तविक वित्तीय स्थिति का पूरी तरह से मूल्यांकन नहीं हो पाया। बैंक की पूंजी पर्याप्त न होने और वित्तीय संभावनाओं की कमी ने आरबीआई को यह कठोर कदम उठाने पर मजबूर किया। आरबीआई की यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए है कि बैंकिंग क्षेत्र में जमाकर्ताओं और वित्तीय संस्थानों की सुरक्षा बनी रहे।
राज्य और बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव
जीजामाता महिला सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द होने से सतारा और महाराष्ट्र के सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में तत्काल प्रभाव पड़ा है। बैंकिंग ग्राहकों और जमाकर्ताओं के बीच असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है। हालांकि, आरबीआई और डीआईसीजीसी के बीमा प्रावधान के कारण जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि का अधिकांश हिस्सा सुरक्षित रहेगा। परिसमापक बैंक की संपत्तियों का प्रबंधन करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि लेनदारों का भुगतान और शेयरहोल्डर्स को बची हुई राशि न्यायसंगत तरीके से वितरित की जाए। आरबीआई का यह कदम सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। जीजामाता महिला सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द करना और परिसमापक की नियुक्ति करना न केवल बैंक के जमाकर्ताओं के हित को सुरक्षित करता है बल्कि अन्य सहकारी बैंकों के लिए एक चेतावनी भी है। यह संदेश है कि केवल वित्तीय रूप से मजबूत और नियामक मानकों का पालन करने वाले बैंक ही सुरक्षित और स्थायी बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। इस निर्णय के माध्यम से आरबीआई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बैंकिंग क्षेत्र में जमाकर्ताओं की सुरक्षा सर्वोपरि है और वित्तीय अनुशासन का उल्लंघन करने वाले संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।


