राष्ट्रपति चुनाव में जेडीयू द्रौपदी मुर्मू का करेगा समर्थन, ललन सिंह ने की घोषणा

पटना। जेडीयू ने बीजेपी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू का समर्थन कर दिया है। जानकारी के अनुसार, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने इसका ऐलान किया है। उनका कहना है राष्ट्रपति के चुनाव में गरीब परिवार में जन्मी एक आदिवासी महिला श्रीमती द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिद्धांततः महिला सशक्तिरण एवं समाज के शोषित वर्गों के प्रति समर्पित रहे हैं। जनता दल (यू) श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी की उम्मीदवारी का स्वागत एवं समर्थन करती है। राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। वही इसके पूर्व भी यह कयास लगाये जा रहें थे राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जेडीयू इस बार अपने गठबंधन के साथ रह सकती है। वही बीजेपी ने जेडीयू के सामने ऐसा दांव खेला है कि अब जेडीयू न चाहते हुए भी बीजेपी के साथ ही जाएगी।
राष्ट्रपति चुनाव में जेडीयू नहीं देता गठबंधन का साथ लेकिन बीजेपी के दाव ने किया मजबूर
बता दे की जेडीयू का पुराना रिकॉर्ड यह रहा है कि जिस गठबंधन के साथ वह रहे हैं राष्ट्रपति चुनाव में उस गठबंधन को उन्होंने समर्थन नहीं किया है। भारतीय जनता पार्टी ने द्रोपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर एक ऐसा दांव खेला है कि नीतीश कुमार के सामने अब अपने गठबंधन के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। दरअसल, जेडीयू का दो पुराना रिकॉर्ड ऐसा रहा है जो अपने गठबंधन से अलग रहा है। नीतीश कुमार जिस गठबंधन के साथ रहे हैं उसी गठबंधन के उम्मीदवार को राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन नहीं दिया है। नीतीश कुमार जब एनडीए के साथ थे तब उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। बीजेपी ने तब पीए संगमा को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया था। यही बात 2017 में भी देखने को मिली थी। जब नीतीश कुमार महागठबंधन के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था। जबकि महागठबंधन की तरफ से मीरा कुमार को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति के उम्मीदवार और बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था। इस बार नीतीश कुमार चाह कर भी एनडीए का विरोध नहीं कर सकते।
बीजेपी ने आदिवासी उम्मीदवार उतारकर खेला बड़ा दावं
बीजेपी ने आदिवासी उम्मीदवार उतारकर नीतीश कुमार के सामने एक ऐसा विकल्प दे दिया है कि वह चाहकर भी द्रोपदी मुर्मू का विरोध नहीं कर सकते हैं। द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समाज से आती हैं और बगल के राज्य झारखंड की राज्यपाल रह चुकी है। ऐसे में यदि नीतीश कुमार द्रोपदी मुर्मू का विरोध कर दूसरे उम्मीदवार का समर्थन करते हैं तो नीतीश कुमार पर आदिवासी विरोधी और झारखंड विरोधी होने का ठप्पा लग जाएगा। हालांकि द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की है तो वह भी बिहार की बगल का राज्य है। वही विपक्ष के तरफ से पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया है। यशवंत सिन्हा नीतीश कुमार के कैबिनेट के साथी रहे हैं। यशवंत सिन्हा भले बिहार से आते हो लेकिन, नीतीश कुमार के सामने यह मजबूरी है कि वह चाहकर भी अपने पुराने साथी यशवंत सिन्हा को समर्थन नहीं कर सकते हैं।

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