मोदी मंत्रिमंडल में जदयू के चार से पांच मंत्री बनेंगे, रेल और कृषि मंत्रालय पर हमारी दावेदारी : मदन सहनी
पटना। मोदी मंत्रिमंडल में बिहार से ललन सिंह, रामनाथ ठाकुर और देवेश चंद्र ठाकुर का नाम लगभग तय माना जा रहा है। दिल्ली में मुंगेर से सांसद ललन सिंह और सीतामढ़ी से सांसद देवेशचंद्र ठाकुर ने आज नीतीश कुमार से मुलाकात भी की है। इसके साथ ही बिहार सरकार में मंत्री मदन सहनी ने रेल और कृषि मंत्रालय पर भी दावा ठोक दिया है। उन्होंने कहा है कि ये दोनों मंत्रालय जदयू के खाते में आना चाहिए। पीएम मोदी कल यानी रविवार को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस बीच यह कयास लगाए जा रहे हैं कि जदयू कोटे से मोदी 3.0 में 5 मंत्री बनाए जा सकते हैं। नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ से पहले एनडीए के सभी सहयोगी दलों के बीच कैबिनेट की सीटों को लेकर माथापच्ची जारी है। गठबंधन की सभी पार्टियां इसके लिए अपने-अपने फॉर्मूले तैयार कर रही है। कहीं 4 सांसद पर एक मंत्री पद की डिमांड हो रही है तो कहीं 5 सांसद पर एक मंत्री बनाए जाने की मांग की चर्चा है। इस बीच सूत्रों के हवाले से पार्टियों के पसंद के विभागों के बंटवारे की चर्चा भी तेज है। हालांकि अभी तक किसी भी सहयोगी दलों की तरफ से औपचारिक रूप से किसी प्रकार की कोई घोषणा नहीं की गई है। इन सब के बीच सभी की निगाहें बिहार पर टिकीं हैं। नीतीश कुमार इस गठबंधन के अहम किरदार हैं। वे 2019 में गठबंधन के साथ होने के बाद भी सांकेतिक रूप से 1 मंत्री पद मिलने से नाराज हो गए थे। इस बार उनकी अहमियत बढ़ी है, लेकिन सांसदों की संख्या 5 घट गई है। ऐसे में वे कितने सीट पर मानते हैं। नीतीश के अलावा चिराग पासवान ने एक बार फिर से 100% स्ट्राइक रेट के साथ वापसी की है, तो मंत्रालय में उनकी एंट्री भी तय मानी जा रही है। वहीं जीतन राम मांझी भी इस रेस में हैं। ऐसे में पिछले दो बार से सहयोगियों को सांकेतिक पद देते आ रही बीजेपी क्या बिहार में अपने कोटे की सीटें कम करेगी? क्या बिहार में मंत्री के पदों की संख्या बढ़ाई जाएगी? इस पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है, लेकिन मंत्री पद के संभावित चेहरों के नाम की चर्चा तेज होने लगी है।
इस बार सांकेतिक भागीदारी नहीं होगी
इस बार कैबिनेट के बंटवारे में सांकेतिक प्रतिनिधित्व की जगह भागीदारी होगी। 7 सांसद पर एक मंत्री पद का फॉर्मूला बनता हुआ दिख रहा है। बिहार में अगले एक साल में विधानसभा का चुनाव भी होना है। ऐसे में भाजपा बिहार की अनदेखी नहीं कर सकती है। यहां 6-7 मंत्री बनाए जा सकते हैं। बिहार में जाति और राजनीति दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। ऐसे में कैबिनेट के चयन में भी जातियों का सामंजस्य बिठाया जाएगा। सवर्ण और ओबीसी के अलावा यहां 36 प्रतिशत आबादी अतिपिछड़ी जाति की है। ऐसे में कैबिनेट में इन्हें भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है। हालांकि, यहां एनडीए की सीटें कम हुई हैं तो पिछले बार की तुलना में इस बार मंत्री पद की सीटें भी कम की जा सकती हैं।


