September 30, 2025

तेजप्रताप की जनशक्ति जनता दल को मिला ‘ब्लैक बोर्ड’ चुनाव चिह्न, विधानसभा चुनाव में भरेंगे हुंकार

पटना। बिहार की राजनीति इन दिनों एक नई हलचल से गुजर रही है। राष्ट्रीय जनता दल से निकाले जाने के बाद लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने अपनी अलग पार्टी बनाने का ऐलान किया है। उन्होंने “जनशक्ति जनता दल” के नाम से इस नई पार्टी की नींव रखी है। पार्टी को चुनाव आयोग से “ब्लैक बोर्ड” का चुनाव चिह्न मिला है। अब तेज प्रताप इसी पार्टी के सहारे आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी सियासी किस्मत आजमाएंगे।
नई पार्टी का उदय और चुनाव चिह्न
जनशक्ति जनता दल (जेजेडी) का चुनाव चिह्न ब्लैक बोर्ड तय किया गया है। इसे लेकर तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर पोस्टर भी साझा किया है। ब्लैक बोर्ड को शिक्षा और जागरूकता का प्रतीक माना जाता है। इस चुनाव चिह्न के जरिए वे समाज को जागरूक करने और पिछड़े, दलित तथा गरीब वर्ग को मुख्यधारा में जोड़ने का संदेश देना चाहते हैं।
पोस्टर में पांच महापुरुषों की तस्वीरें
तेजप्रताप यादव द्वारा जारी किए गए पोस्टर ने सियासी गलियारों में चर्चा तेज कर दी है। इसमें पांच प्रमुख हस्तियों की तस्वीरें लगाई गई हैं। सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, फिर संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर, समाजवादी विचारक राम मनोहर लोहिया, लोकनायक जयप्रकाश नारायण और जननायक कर्पूरी ठाकुर की तस्वीर शामिल है। इन महान हस्तियों की तस्वीरें यह संकेत देती हैं कि तेज प्रताप अपनी राजनीति को सामाजिक न्याय, समानता और जनकल्याण की विचारधारा से जोड़ना चाहते हैं।
लालू की तस्वीर का अभाव
सबसे बड़ी चर्चा इस बात को लेकर है कि पोस्टर में लालू प्रसाद यादव की तस्वीर नहीं है। यह साफ संदेश है कि तेज प्रताप अब आरजेडी और पिता की छाया से बाहर निकलकर अपनी अलग राह बनाने का मन बना चुके हैं। यह कदम न केवल उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को दर्शाता है बल्कि यह भी बताता है कि वे अब परिवार और पार्टी से अलग पहचान गढ़ना चाहते हैं।
पारिवारिक विवाद और निष्कासन
तेजप्रताप यादव का राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन पिछले कुछ समय से विवादों में घिरा रहा है। अनुष्का यादव के साथ उनके रिलेशनशिप को लेकर परिवार में तनाव बढ़ गया था। इस विवाद ने इतना गंभीर रूप ले लिया कि लालू प्रसाद ने उन्हें परिवार से बेदखल कर दिया। इसके बाद आरजेडी ने भी तेज प्रताप को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। इन घटनाओं के बाद तेज प्रताप का राजनीतिक भविष्य अधर में लटकता नजर आ रहा था, लेकिन अब उन्होंने अपनी पार्टी बनाकर नया रास्ता चुना है।
चुनावी तैयारी और संभावित रणनीति
तेजप्रताप यादव ने संकेत दिया है कि वे वैशाली जिले की महुआ सीट से चुनाव लड़ेंगे। महुआ उनकी परंपरागत सीट रही है, जहां से उन्होंने पहले भी जीत दर्ज की थी। इसके अलावा वे कुछ अन्य सीटों पर भी अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतार सकते हैं। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि उनकी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी और उनका संगठन कितना मजबूत होगा। लेकिन यह तय है कि वे चुनावी मैदान में उतरकर बिहार की राजनीति में एक नई चुनौती पेश करेंगे।
सामाजिक न्याय और नई राजनीति की ओर
तेजप्रताप अपने पोस्टर और संदेशों के जरिए यह दिखाना चाह रहे हैं कि उनकी राजनीति का केंद्र बिंदु सामाजिक न्याय और हाशिए पर खड़े वर्गों का उत्थान होगा। गांधी, अंबेडकर, लोहिया, जेपी और कर्पूरी ठाकुर जैसे नेताओं की तस्वीरें लगाकर वे खुद को इन विचारधाराओं का उत्तराधिकारी साबित करना चाहते हैं। उनकी कोशिश है कि युवाओं, गरीबों और पिछड़े वर्गों का समर्थन उन्हें मिले।
सियासी प्रभाव और संभावनाएं
हालांकि, तेजप्रताप की नई पार्टी का असर कितना होगा, यह चुनाव परिणामों से ही साफ होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल उनकी पार्टी बड़े स्तर पर आरजेडी या अन्य दलों को चुनौती नहीं दे पाएगी। लेकिन अगर वे युवाओं और नाराज वोट बैंक को साधने में सफल रहते हैं, तो वे भविष्य में एक प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। तेजप्रताप यादव का यह कदम उनके जीवन की नई राजनीतिक शुरुआत है। जनशक्ति जनता दल और ब्लैक बोर्ड चुनाव चिह्न के सहारे वे यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी राजनीति शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक न्याय पर आधारित होगी। हालांकि रास्ता आसान नहीं है, लेकिन इस कदम ने बिहार की राजनीति को नई बहस दे दी है। आने वाले विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता तेज प्रताप की इस नई पारी को कितना स्वीकार करती है।

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