रवियोग में जानकी नवमी मंगलवार को, सुहाग रक्षा के लिए सुहागिन करेंगी व्रत

  • वैशाख शुक्ल नवमी को दोपहर में हुआ था माता सीता का प्राकट्य

पटना। जनकनंदनी एवं प्रभु श्रीराम की प्राणप्रिया, सर्व मंगल दायिनी माता सीता का प्राकट्य दिवस जानकी नवमी वैशाख शुक्ल नवमी मंगलवार को रवि योग में मनाई जाएगी। जानकी नवमी स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त होने से शादी-ब्याह सहित मांगलिक कार्यों की धूम रहती है। माता सीता का व्रत करने से भगवान विष्णु सहित माता लक्ष्मी के साथ सूर्यदेव की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है। सुहागिन महिलाएं अपने सौभाग्य रक्षा और पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखेंगी। मिथिलांचल क्षेत्र में जानकी नवमी की अधिक धूमधाम होती है। इस दिन माता सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी में सीता-राम के साथ राजा जनक, माता सुनयना, हल और पृथ्वी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है।
रवियोग के सुयोग में जानकी नवमी
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि मंगलवार को जानकी नवमी का पावन पर्व अश्लेषा नक्षत्र के साथ मघा नक्षत्र व रवियोग में होने से अत्यंत पुण्यकारी हो गया है। वृहत विष्णु पुराण के अनुसार वैशाख शुक्ल नवमी को मघा नक्षत्र में दोपहर के समय माता सीता का जन्म हुआ था। यह दिन स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त होता है, इसीलिए इस दिन वर-कन्या वरण, दीक्षाग्रहण, नामकरण, अन्नप्राशन, द्विरागमन, सेवारंभ, संगीत प्रशिक्षण, भूमि पूजन, गृह प्रवेश, देवी-देवताओं की प्रतिष्ठा, शादी-विवाह जैसे शुभ कार्य होंगे। उपवास करने वाले श्रद्धालु बुधवार वैशाख शुक्ल दशमी को प्रात: 05:25 बजे के बाद पारण करेंगी।
सीता-राम की पूजा से महाषोड्श दान का फल
ज्योतिषी झा के मुताबिक जानकी नवमी पर भगवान राम सहित मां जानकी का व्रत-उपवास के साथ विधिवत पूजन करने से भूमि दान, महाषोड्श दान, सर्वभूत दया एवं अखिलतीर्थ भ्रमण का फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही व्रती को सभी दुखों, रोगों व संतापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन स्नान आदि के बाद स्वच्छ मन से श्री सीता-रामाय नम:, श्री रामाय नम: या श्री सीतायै नम: का जाप तथा जानकी स्त्रोत्र, रामचंद्राष्टक, रामचरित मानस का पाठ करने से सुख-सौभाग्य, सौंदर्य, आरोग्यता के साथ समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है।
जानकी नवमी व्रत का पौराणिक महत्व
आचार्य राकेश झा ने वृहत विष्णु पुराण के हवाले से कहा कि जिस प्रकार राम नवमी को शुभ फलदायी पर्व के रूप में मनाया जाता है, उसी प्रकार सीता नवमी भी बहुत शुभ फलदायी है क्योंकि भगवान श्रीराम स्वयं विष्णु तो माता सीता लक्ष्मी का स्वरूप हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जानकी नवमी का व्रत करने से वैवाहिक जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है क जिन लड़कियों की शादी में बाधा आ रही हो, उन्हें विशेषकर इस व्रत को करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होगी क इस सौभाग्यशाली दिवस में माता सीता की पूजा-अर्चना प्रभु श्री राम के साथ करने से भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है।
माता सीता से ही हनुमान को मिला था अष्टसिद्धि का वरदान
सूर्य, अग्नि एवं चंद्रमा का प्रकाश माता सीता का ही स्वरूप है। चंद्रमा की किरणें विभिन्न औषधियों को रोग निदान का गुण प्रदान करती हैं। ये चंद्र किरणें अमृत दायिनी सीता का प्राणदायी और आरोग्य वर्धक प्रसाद हैं। मां सीताजी ने ही हनुमानजी को उनकी सेवा-भक्ति से प्रसन्न होकर अष्ट सिद्धियों तथा नवनिधियों के स्वामी होने का वरदान दिया था।
शाश्वत शक्ति की आधार हैं मां जानकी
वहीं पंडित गजाधर झा ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदासजी ने माता सीता की वंदना करते हुए उन्हें उत्पत्ति, पालन और संहार करने वाली, क्लेशों को हरने वाली एवं समस्त जगत का कल्याण करने वाली राम वल्लभा कहा है। उपनिषद में शक्ति स्वरूपा ऋग्वेद में असुरसंहारिणी, कल्याणकारी, सीतोपनिषद में आदिशक्ति तथा आध्यात्म रामायण में मुक्तिदायनी, एकमात्र सत्य, योगमाया की स्वरूप की उपाधि दी गयी हैं। माता सीता क्रिया-शक्ति, इच्छा-शक्ति और ज्ञान-शक्ति, तीनों रूपों में प्रकट होती हैं।
जानकी नवमी व्रत व पूजा मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्त : प्रात: 05:25 बजे से शाम 03:30 बजे तक
चर व लाभ मुहूर्त : प्रात: 08:27 बजे से 11:46 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:20 बजे से 12:13 बजे तक
अमृत मुहूर्त : दोपहर 11:46 बजे से 01:26 बजे तक

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