मघा नक्षत्र व रवियोग के सुयोग में मनी जानकी नवमी; राम-सीता, जनक, सुनयना, हल, पृथ्वी की हुई पूजा

पटना। कोरोना संक्रमण काल में हिन्दू धर्मावलंबीयों के महत्वपूर्ण त्योहार जनक नंदिनी माता सीता का प्राकट्य दिवस जानकी नवमी गुरुवार को मघा नक्षत्र एवं पूर्वा फाल्गुन के साथ रवियोग के सुयोग में मनायी गई। वैश्विक महामारी के समय में श्रद्धालुओं ने घरों में ही मां सीता का जन्मोत्सव मनाया। इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। इस दिन पूजा-पाठ के अलावे शुभ कार्य भी किये जाते हैं। दान-पुण्य, विशिष्ट वस्तुओं की खरीदारी, मंत्र जाप, धार्मिक पुस्तकों का पाठ, सत्यनारायण पूजा आदि भी किया गया। सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए व्रत-उपवास कर माता जानकी की आराधना की। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन स्वच्छ मन से श्री सीता-रामाय नम:, श्री रामाय नम: या श्री सीतायै नम: का जाप तथा जानकी स्त्रोत्र, रामचंद्राष्टक, रामचरित मानस का पाठ करने से सुख-सौभाग्य, सौंदर्य, आरोग्यता के साथ समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है।
राम-सीता, जनक, सुनयना, हल, पृथ्वी की हुई पूजा
आचार्य राकेश झा ने बताया कि इस दिन माता सीता की जन्म स्थली सीतामढ़ी में सीता-राम के साथ राजा जनक, माता सुनयना, हल और पृथ्वी की पूरे विधि-विधान से पूजा की गई। इस दिन इसकी पूजा से भूमि दान, महाषोड्श दान, सर्वभूत दया एवं अखिलतीर्थ भ्रमण का फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही व्रती को सभी दुखों, रोगों व संतापों से मुक्ति मिलती है। लगातार दो साल से कोरोना के कारण जानकी मंदिर के पुजारी ही पूजा-अर्चना किए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जानकी नवमी का व्रत करने से वैवाहिक जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। जिन लड़कियों की शादी में बाधा आ रही हो, उन्हें विशेषकर इस व्रत को करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होगी। इस सौभाग्यशाली दिवस में माता सीता की पूजा-अर्चना प्रभु श्री राम के साथ करने से भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है।

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