जगदानंद सिंह फिर बनेगें राजद के प्रदेश अध्यक्ष : आज करेंगे नामांकन, 21 सितंबर के बाद होगा ऐलान

पटना। लालू-तेजस्वी की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के नए प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ही होंगे। ये उनका बतौर प्रदेश अध्यक्ष दूसरा कार्यकाल होगा। आज वे इसके लिए नामांकन भरेंगे। इसके बाद स्क्रूटनी होगी। कल तक नामांकन वापस लेना का समय है। इसके बाद 21 सितंबर को राज्य परिषद की बैठक में उनके नए प्रदेश अध्यक्ष बनने की घोषणा कर दी जाएगी। लालू प्रसाद चाहते हैं कि जगदानंद सिंह ही राजद के नए प्रदेश अध्यक्ष बनें। अगर वो नहीं मानते हैं तो अब्दुलबारी सिद्दीकी को ये जिम्मेदारी दी जा सकती थी। लालू प्रसाद की बात जगदानंद सिंह ने मान ली है।
रिटायर होने की एक उम्र होती है : जगदानंद सिंह
जगदानंद सिंह ने कहा कि ‘उनके अंदर काम करने का जज्बा है लेकिन शरीर से वे अब पहले की तरह मजबूत नहीं रहे। प्रदेश अध्यक्ष के रुप में पार्टी को चलाना कठिन काम है। हर आदमी के रिटायर होने की एक उम्र होती है। कहा कि उन्होंने किसी कमान मांगी और न कभी किसी काम से भागते हैं। लोहिया और कर्पूरी से उन्होंने यही सीखा है कि जनता की दी हुई इस जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाओ। अब मेरी इच्छा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहने की नही है। मेरा मन नहीं थका है लेकिन शरीर थक गया है। पहले 12-12 घंटे तक काम करते थे लेकिन अब 6 घंटे ही कर पा रहे हैं। जगदानंद सिंह ने जिस तरह से संगठन को पटरी पर लाए हैं उस वजह से वे लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की पहली पंसद प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए हैं। हालांकि जगदानंद सिंह कई बार लालू प्रसाद को कह चुके हैं कि वे अब प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नहीं रहना चाहते हैं और गांव जाना चाहते हैं लेकिन लालू प्रसाद यादव की जिद रही कि किसी और नहीं आपको ही को प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहना है। जगदानंद सिंह ने लालू प्रसाद के साथ लंबी राजनीति की है और दोनों आपस में मित्रवत हैं।
जगदानंद सिंह ने राजद में बड़ा काम यह किया कि निचले स्तर से लेकर राज्य स्तर तक पार्टी में अनुशासन को बहाल किया है। पार्टी कार्यालय का चेहरा भी उन्होंने बदल दिया है। अब राजद कार्यालय में गमले और उन गमलों में फूलों के पौधे दिखते हैं। किसी प्रदर्शन में राजद के कार्यकर्ता हुड़दंग करते नहीं दिखते। इस सब को लेकर उनका कड़ा अनुशासन रहता है। जिस राजद कार्यालय में पहले सन्नाटा दिखता था पिछले तीन साल से वहां दीवारों पर चारों तरफ समाजवादी नारे दिखते हैं। पार्टी कार्यालय के अंदर किसी की मोटरसाइकिल नहीं लगती। किसी महापुरुष की पुण्यतिथि आदि के अवसर पर कतारबद्ध होकर ही कोई पुष्पांजलि अर्पित कर सकता है। इसके लिए वे भी खुद कतार में खड़े होते हैं। लालू-तेजस्वी को छोड़ बाकी सभी नेताओं की कार पार्टी कार्यालय के बाहर ही लगती है। खुद जगदानंद सिंह की भी। वे कार से उतकर पैदल पार्टी कार्यालय के अंदर आते हैं। लगभग 80 वर्ष के वे हो गए हैं लेकिन उनका अनुशासन कड़ा है। हालांकि उनके अनुशासन की आलोचना में यह कहा जा चुका है कि राजद कार्यालय को डीएम का कार्यालय उन्होंने बना दिया है। जगदानंद सिंह का कार्यकाल ऐसा कार्यकाल था जिसमें तेजस्वी यादव को लालू प्रसाद के दमदार उत्तराधिकारी के तौर पर स्थापित करने का था। तेजस्वी यादव ने विधान सभा चुनाव और उसके बाद के उपचुनावों में अपनी राजनीतिक कुशलता का परिचय दिया। बिहार विधान सभा चुनाव में तो पार्टी की बड़ी जीत हुई ही बोचाहां की जीत राजद की बड़ी जीत मानी गई। राजद की छवि हुड़दंगी पार्टी की बन चुकी थी लेकिन जगदानंद सिंह ने इसे संयमित पार्टी बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। जब जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह भाजपा के टिकट पर विधान सभा चुनाव लड़ रहे थे उस समय जगदानंद सिंह ने अपने बेटे को चुनाव हराने का कैंपेन चलाया था और सुधाकर चुनाव हार गए थे।

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