महागठबंधन में सहनी के साथ हुआ अन्याय, राजद और कांग्रेस लगातार कर रही अपमानित: दिलीप जायसवाल
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर मतभेद और सीट बंटवारे को लेकर चल रही तनातनी अब खुलकर सामने आने लगी है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर अब भाजपा ने महागठबंधन पर तीखा प्रहार किया है। बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि “महागठबंधन में मुकेश सहनी के साथ अन्याय हो रहा है। राजद और कांग्रेस लगातार उनका अपमान कर रही हैं।”जायसवाल ने कहा कि “मुकेश सहनी का सम्मान एनडीए में था, लेकिन आज महागठबंधन में उन्हें ‘थाली का बैंगन’ बनाकर फेंका जा रहा है। जो कभी एनडीए में एक अहम सहयोगी हुआ करते थे, उन्हें अब अपने ही साथियों से बेइज्जती झेलनी पड़ रही है।” भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि “अगर राजद और कांग्रेस इस तरह वीआईपी प्रमुख का अपमान जारी रखेंगी तो इसका नुकसान खुद उन्हें ही उठाना पड़ेगा। सहनी और मल्लाह समाज में यह संदेश तेजी से फैल गया है कि महागठबंधन उन्हें अपमानित कर रहा है।”
एनडीए में था सहनी का सम्मान, अब हाशिए पर
भाजपा नेता दिलीप जायसवाल ने याद दिलाया कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी मुकेश सहनी महागठबंधन से नाराज़ होकर एनडीए में शामिल हुए थे। उस समय एनडीए ने उन्हें 11 सीटें दी थीं, जिनमें से वीआईपी ने 4 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, चुनाव के बाद तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए और एक विधायक का निधन हो गया, जिससे पार्टी की ताकत घट गई। इसके बाद सहनी ने एनडीए से भी दूरी बना ली। अब एक बार फिर मुकेश सहनी ने महागठबंधन में वापसी की है, लेकिन वहां भी हालात उनके पक्ष में नहीं दिख रहे। बताया जा रहा है कि इस बार तेजस्वी यादव पहले की तरह झुकने के मूड में नहीं हैं। वीआईपी की सीटों और गठबंधन में भूमिका को लेकर जो मांगें रखी गईं, उन पर राजद नेतृत्व ने सख्त रुख अपनाया है। महागठबंधन के सूत्रों के अनुसार, सहनी को साफ शब्दों में कहा गया है— “या तो शर्तें मानो या गठबंधन से बाहर जाओ।”
भाजपा ने साधा निशाना, कहा –सहनी को हो रहा अपमान, समाज देख रहा है
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि मुकेश सहनी मल्लाह समाज के नेता हैं और बिहार की सामाजिक समीकरणों में उनका बड़ा प्रभाव है। उन्होंने कहा, “महागठबंधन के अंदर जो व्यवहार उनके साथ हो रहा है, वह न केवल सहनी का बल्कि पूरे समाज का अपमान है। जिस तरह कांग्रेस और राजद ने वीआईपी प्रमुख की अनदेखी की है, वह जनता देख रही है। चुनाव में इसका असर जरूर दिखेगा।” जायसवाल ने कहा कि “राजनीति में सम्मान बहुत बड़ी चीज है। महागठबंधन अगर अपने सहयोगियों को ही सम्मान नहीं दे सकता, तो जनता पर क्या भरोसा करेगा?”
चुनाव से पहले बढ़ सकती है राजनीतिक उथल-पुथल
भाजपा नेता के इस बयान को राजनीतिक विशेषज्ञ बिहार की राजनीति में आने वाले बड़े फेरबदल का संकेत मान रहे हैं। जानकारों का कहना है कि भाजपा की यह टिप्पणी केवल बयानबाज़ी नहीं, बल्कि वीआईपी और एनडीए के बीच संभावित नए समीकरण का संकेत भी है। माना जा रहा है कि यदि महागठबंधन में सीटों को लेकर सहनी की नाराजगी बनी रही, तो वे एक बार फिर एनडीए के खेमे में लौट सकते हैं।
मल्लाह समाज में संदेश, एनडीए को हो सकता है फायदा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मल्लाह समाज बिहार के कई इलाकों में निर्णायक भूमिका निभाता है। ऐसे में यदि मुकेश सहनी महागठबंधन से अलग होते हैं, तो इसका सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है। एनडीए इस अवसर को भुनाने में पीछे नहीं रहेगा। दिलीप जायसवाल का बयान भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि सहनी का असली सम्मान केवल एनडीए में ही संभव है। बिहार चुनाव के बीच मुकेश सहनी की भूमिका एक बार फिर से केंद्र में आ गई है। महागठबंधन में उनके प्रति रवैये को लेकर भाजपा ने जो हमला बोला है, उसने सियासी तापमान और बढ़ा दिया है। अब देखना यह होगा कि मुकेश सहनी अपने सम्मान के सवाल पर क्या रुख अपनाते हैं — महागठबंधन में बने रहते हैं या एक बार फिर एनडीए का रुख करते हैं। फिलहाल, बिहार की राजनीति में “सहनी फैक्टर” एक बार फिर सुर्खियों में है।


