चुनाव आयोग को एसबीआई ने दी चुनावी बॉन्ड के यूनिक नंबर्स की जानकारी, शीर्ष अदालत ने दिया था आदेश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद आखिरकार भारतीय स्टेट बैंक ने गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड्स की सभी जानकारी चुनाव आयोग को सौंप दी है। इस डेटा में यूनिक नंबर्स भी हैं, जिससे यह पता लगाने में आसानी होगी कि आखिर किसने किस राजनैतिक दल को चुनावी चंदा दिया है। एसबीआई ने अनुपालन हलफनामा भी दायर किया है। हलफनामे के एक प्वाइंट में लिखा है कि एसबीआई ने सम्मानपूर्वक सभी डिटेल्स का खुलासा कर दिया है और अब (अकाउंट नंबर्स और केवाईसी डिटेल्स) को छोड़कर कोई और जानकारी नहीं रोकी गई है। माना जा रहा है कि कुछ देर के बाद अब यूनिक नंबर्स के साथ इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी प्रकाशित कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित सभी डिटेल्स का खुलासा करने का निर्देश दिया था, जिसमें खरीद की तारीख, खरीदार और प्राप्तकर्ता, मूल्यवर्ग और राजनीतिक दान करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अल्फान्यूमेरिक सीरियल कोड शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा को गुरुवार शाम 5 बजे तक एक हलफनामा दाखिल करने का भी आदेश दिया, जिसमें कहा जाए कि सभी जानकारियों का खुलासा किया गया है और कोई भी जानकारी छिपाई नहीं गई है। अदालत ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था, ”इसमें कोई संदेह नहीं है कि एसबीआई को सभी उपलब्ध जानकारी प्रस्तुत करना जरूरी है, जिसमें खरीदे गए बॉन्ड की अल्फान्यूमेरिक संख्या और सीरियल नंबर, यदि कोई हो शामिल है। बता दें कि अल्फान्यूमेरिक कोड से ही बॉन्ड के खरीदार और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल के बीच संबंध का पता चल सकेगा। एसबीआई चेयरमैन की ओर से दाखिल हलफनामा में कहा गया है कि प्रीफिक्स और बॉन्ड नंबर असल में अल्फान्यूमेरिक नंबर है। सुप्रीम कोर्ट को एसबीआई ने बताया कि अकाउंट नंबर का पूरा डिटेल और राजनीतिक पार्टियों का केवाईसी को पब्लिक नहीं किया गया है क्योंकि इससे सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। साथ ही खरीददार के केवाईसी को भी पब्लिक डोमेन में नहीं दिया गया है।एसबीआई की ओर से कहा गया है कि अब एसबीआई ने (सिवाये बैंक अकाउंट नंबर और केवाईसी के डिटेल) तमाम जानकारी उजागर कर दी है यानी बैंक अकाउंट के डिटेल और केवाईसी को छोड़कर तमाम जानकारियों को उजागर कर दिया गया है। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी किए गए प्रत्येक चुनावी बांड पर एक यूनिक अल्फ़ान्यूमेरिक कोड मुद्रित होता है जो केवल एक विशिष्ट प्रकाश में दिखाई देता है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इस संख्या का उपयोग प्रत्येक दान को प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल से मिलान करने के लिए किया जा सकता है। ऐसे नंबर का अस्तित्व अप्रैल 2018 में सामने आया जब एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि चुनावी बांड में यूनिक छिपे हुए अल्फ़ान्यूमेरिक नंबर होते हैं जो नग्न आंखों से दिखाई नहीं देते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस विशिष्ट नंबर का इस्तेमाल चुनावी बांड के खरीदारों को उन राजनीतिक दलों से जोड़ने के लिए किया जा सकता है, जिन्हें उन्होंने चंदा दिया है। एसबीआई ने उस वक्त बताया था कि यह नंबर एक सिक्योरिटी फीचर है, जिसमें दावा किया गया था कि कनेक्ट करने का कोई तरीका नहीं है कि किस दानकर्ता ने किस पार्टी को दान दिया है। बैंक ने कथित तौर पर कहा कि जारी करने और भुगतान की प्रक्रिया इस तरह से डिजाइन की गई है कि बैंक के पास दाता या राजनीतिक दल के लिए उपरोक्त संख्या का कोई रिकॉर्ड नहीं होगा।

You may have missed