भारत और आस्ट्रेलिया मिलकर करेंगे पशुओं के उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में काम

  • बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

फुलवारी शरीफ। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, आस्ट्रेलिया-भारत कौंसिल एवं मेलबोर्न विश्वविद्यालय, आस्ट्रेलिया के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। 24 सितम्बर तक चलने वाले इस कार्यशाला में ‘बदलते मौसम के परिदृश्य में पशुओं से उत्पादन’ विषय पर भारत एवं आस्ट्रेलिया के ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। हाईब्रीड मोड में आयोजित इस कार्यशाला में आफलाइन एवं आनलाइन दोनों तरह से प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में भा.कृ.अ.प के डीडीजी, एडीजी सहित पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार के सचिव नर्मदेश्वर लाल, निदेशक विनोद सिंह गुंजियाल, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह, निदेशक अनुसंधान डॉ. रविन्द्र कुमार, निदेशक प्रसार शिक्षा, अधिष्ठाता, सहित आस्ट्रेलिया-भारत कौंसिल बोर्ड के चेयरपर्सन लेशी सिंह सहित कई अन्तर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक शामिल हुए।


कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में लेशी सिंह ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से दोनों देशों के बीच पशुओं के उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में प्रयोग में लाये जाने वाली नवीनतम तकनीक और भारत में पूर्व से प्रयोग की जाने वाली पारंपरिक पद्धतियों का आदान-प्रदान होगा, जिससे नई शोध और तकनीक के मदद से पुराने प्रयोगों में सुधार लाया जा सकता है, साथ ही दोनों देशों के बीच के संबंध भी घनिष्ठ होंगे। इस कार्यशाला के द्वारा बदलते मौसम के परिदृश्य में पशु उत्पादन कैसे बेहतर हो, इस पर चर्चा होगी, जिससे अनुसंधान एवं उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन और इससे पशुओं में उत्पादकता की कमी एक ज्वलंत मुद्दा है, जिसके समाधान से पशुओं से उत्पादन कई गुना बढ़ जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस नये विश्वविद्यालय में एक नया अन्तर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट मिला है, जिसे बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय एवं मेलबोर्न विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक मिलकर कर रहे हैं, जिससे पोषण के विभिन्न तत्वों के द्वारा पशुओं पर पड़ने वाले हीट स्ट्रेस को हटाया जा सकता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के डीडीजी (पशु विज्ञान) डॉ. बी.एन त्रिपाठी ने कहा कि पशुओं के घर का प्रबंधन, जेनेटिक सलेक्शन, खान-पान, बाईपास फैट आदि के उपयोग से पशुओं पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सकता है।
मेलोन विश्वविद्यालय, आस्ट्रेलिया से डॉ . सुरेन्द्र सिंह चौहान ने इस कार्यशाला का संचालन किया। कार्यशाला के दूसरे पाली में किसानों के साथ वार्ता सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें पटना और आस-पास के जिलों से आये पशुपालकों द्वारा मौसम परिवर्तन से उत्पन्न हो रही पशुओं में समस्या पर चर्चा हुई और विशेषज्ञों द्वारा उस पर समाधान बताया गया। कार्यशाला में वैज्ञानिक, प्रोफेसर, छात्र, किसान, प्रगतिशील किसान, स्वयंसेवी उद्यमी इत्यादि शामिल हुए। उद्घाटन सत्र के अंत में अधिष्ठाता, बिहार पशु चिकित्सा महाविद्याल, पटना डॉ . जेके प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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