December 3, 2025

स्कूल के मिड-डे मील में गड़बड़ी हुई तो प्रिंसिपल समेत नपेंगे कई अधिकारी, शिक्षा विभाग का निर्देश जारी

पटना। बिहार में स्कूली बच्चों के लिए चलाई जा रही मध्याह्न भोजन योजना यानी मिड-डे मील को लेकर शिक्षा विभाग ने अब बेहद सख्त रुख अपनाया है। लगातार मिल रही शिकायतों और गड़बड़ियों को देखते हुए विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अब यदि किसी स्कूल में योजना के तहत लापरवाही पाई जाती है, तो सिर्फ स्कूल प्रिंसिपल ही नहीं बल्कि संबंधित अधिकारी भी जवाबदेह होंगे।
शिकायतों की लंबी सूची बनी वजह
मिड-डे मील योजना को लेकर शिक्षा विभाग को काफी समय से लगातार शिकायतें मिल रही थीं। कहीं छात्रों की वास्तविक उपस्थिति से अधिक दिखाकर खाद्यान्न की मांग की जा रही थी, तो कहीं भोजन मेनू के अनुसार न परोसे जाने की बात सामने आ रही थी। कुछ स्कूलों में केंद्रीकृत रसोईघर से भेजा गया भोजन खराब गुणवत्ता का पाया गया। कई जगह तो बच्चों की संख्या से कम भोजन की आपूर्ति हुई, जिससे कई बच्चों को पौष्टिक खाना नहीं मिल पाया।
अब केवल प्रधानाध्यापक नहीं, अधिकारी भी होंगे जिम्मेदार
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अब से मिड-डे मील योजना में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई केवल संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक पर ही नहीं, बल्कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, और प्रखंड/जिला साधनसेवी पर भी की जाएगी। विभाग ने यह भी कहा है कि इन अधिकारियों को अब नियमित निगरानी करनी होगी और योजना के सभी मानकों का पालन सुनिश्चित करना होगा।
गुणवत्ता और पोषण पर विशेष जोर
मिड-डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक और संतुलित भोजन उपलब्ध कराना है ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास सही ढंग से हो सके। साथ ही यह योजना स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाने, बच्चों को स्कूल से जोड़े रखने और शिक्षा के क्षेत्र में समानता सुनिश्चित करने का भी कार्य करती है। इसलिए विभाग ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे निश्चित मेनू का पालन करें और भोजन की गुणवत्ता से कोई समझौता न करें।
भोजन की नियमित जांच होगी अनिवार्य
अब स्कूलों में परोसे जा रहे भोजन की नियमित जांच की जाएगी। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों को ताजा, गर्म और पौष्टिक भोजन मिले। यदि कहीं भी यह पाया जाता है कि भोजन तय मानकों के अनुरूप नहीं है या उसकी गुणवत्ता खराब है, तो जिम्मेदारों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें निलंबन से लेकर अन्य कड़े कदम शामिल हो सकते हैं।
जवाबदेही तय करना होगा अनिवार्य
विभाग का स्पष्ट कहना है कि अब से हर स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी। स्कूल प्रशासन, ब्लॉक स्तर और जिला स्तर पर जो अधिकारी योजना के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें पूरी तरह से यह सुनिश्चित करना होगा कि योजना अपने उद्देश्यों के अनुरूप चले। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शिक्षा और पोषण की समृद्धि के लिए जरूरी है योजना की सफलता
मध्याह्न भोजन योजना न केवल बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने का माध्यम है, बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी सामाजिक क्रांति का भी हिस्सा है। गरीब तबके के बच्चे, जो कभी स्कूल तक नहीं पहुंचते थे, अब भोजन की उम्मीद में शिक्षा की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसलिए योजना में पारदर्शिता और गुणवत्ता बनाए रखना बेहद जरूरी है। शिक्षा विभाग की यह पहल दर्शाती है कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और बच्चों के स्वास्थ्य और भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा दी जाएगी।

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