खगड़िया में पढ़ाई के लिए डांटा तो 14 वर्षीय नाबालिक ने लगाई फांसी, पेड़ से लटक कर दी जान

खगड़िया। जिले के मड़ैया थाना क्षेत्र अंतर्गत अररिया गांव में शनिवार सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया जब गांव के बगीचे में एक 14 वर्षीय किशोर का शव पेड़ से लटका मिला। मृतक की पहचान रंगीला कुमार, पिता निरंजन यादव के रूप में हुई है। परिजनों व ग्रामीणों के अनुसार, पढ़ाई को लेकर पिता की डांट से नाराज होकर उसने यह आत्मघाती कदम उठाया।घटना की सूचना मिलते ही मड़ैया थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए खगड़िया सदर अस्पताल भेजा। इस दुखद घटना से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है और हर कोई इस हृदयविदारक घटना से स्तब्ध है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, शनिवार तड़के रंगीला कुमार के पिता ने उसे पढ़ाई के लिए जगाया था। बताया जा रहा है कि इस बात से वह नाराज हो गया और गुस्से में आकर घर से बाहर निकल गया। कुछ ही देर बाद पास के बगीचे में जाकर एक पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। ग्रामीणों ने जब शव को लटका देखा तो तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी गई। मृतक के परिजनों और गांव वालों ने बताया कि रंगीला एक सामान्य स्वभाव का बच्चा था, लेकिन उसे पढ़ाई में ज्यादा रुचि नहीं थी। पिता निरंजन यादव अक्सर उसे पढ़ाई को लेकर डांटते थे। लोगों का कहना है कि आए दिन की डांट से वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगा था। माना जा रहा है कि इसी दबाव के कारण उसने इतना बड़ा और दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाया। मामले की पुष्टि करते हुए मड़ैया थाना अध्यक्ष मोहम्मद फिरदौस ने बताया कि पुलिस को शव मिलने की सूचना सुबह मिली थी। मौके पर पहुंचकर कानूनी प्रक्रिया के तहत शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और परिजनों से भी पूछताछ की जा रही है। यह घटना कई सवालों को जन्म देती है। बच्चों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव देना क्या सही है? क्या माता-पिता को समझना चाहिए कि हर बच्चा एक जैसा नहीं होता? यह मामला एक बार फिर से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और माता-पिता के व्यवहार की गंभीरता को रेखांकित करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों से संवाद के तरीके में बदलाव की जरूरत है। डांट-फटकार के बजाय सहयोग और समझदारी से बात करना अधिक प्रभावी होता है। बाल मन बहुत संवेदनशील होता है और छोटी-छोटी बातों को भी वह गहराई से ले लेता है। इस घटना ने खगड़िया जिले ही नहीं, पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बच्चों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाए ताकि वे तनाव में न आएं। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को भी इस दिशा में जागरूकता फैलाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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