बिहार को समृद्ध बनाने के लिए राज्य भर में लागू हो DRE के सफल मॉडल

- लाखों लोगों के जीवन में बदलाव ला रहे डीआरई मॉडल राज्य के लिए सुनहरा अवसर
पटना। सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा मंगलवार “बिहार में डीआरई मॉडल्स के सफल प्रयोग” पर एक परिचर्चा आयोजित की गयी, जिसका मूल उद्देश्य कृषि, स्वास्थ्य, ग्रामीण एवं शहरी विकास सहित अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों में प्रभावशाली प्रदर्शन कर रहे डीआरई मॉडल्स को समूचे राज्य में फैलाने और इनके व्यापक इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है। इस वेबिनार में जिन बेहतरीन विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा (डीआरई) परियोजनाओं को प्रस्तुत गया, उनमें चखाजी (समस्तीपुर) का कृषि सिंचाई में कारगर सौर मॉडल, चनपटिया (पश्चिम चंपारण) में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति दे रहा हाइब्रिड मिनी ग्रिड, बड़गांव (गया) में कृषि उत्पादों को बेहतर बनाने के लिए लगा सोलर ड्रायर और कोल्ड स्टोरेज, फतुहा (पटना) का जरबेरा फूल का कोल्ड स्टोरेज और कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में बिजली एवं स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने के लिए स्थापित सोलर पीवी प्लांट प्रमुख थे।
वेबिनार के व्यापक संदर्भ एवं उद्देश्य के बारे में अश्विनी अशोक, हेड-रिन्यूएबल एनर्जी, सीड ने बताया कि डीआरई समाधानों से जुड़े अपार संभावनाओं को हासिल करने के लिए राज्य सरकार को एक ‘डीआरई मिशन’ शुरू करना चाहिए, जिसमें सभी सरकारी विभागों एवं नोडल एजेंसी के बीच कन्वर्जेन्स एप्रोच और साझा विजन हो, साथ ही निजी निवेश और तकनीकी नवोन्मेष को आकर्षित करने और सबों को एक समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए एक समुचित परिवेश तैयार किये जाने की जरूरत है। इससे राज्य को स्वच्छ ऊर्जा समाधान के मामले में अग्रणी बनाने के लिए विनिर्माण इकाइयों की स्थापना को भी बढ़ावा मिलेगा।
इन सफल परियोजनाओं से जुड़े प्रमुख लोगों और संगठनों जैसे डॉ. मीना सामंत (कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल), शुभेंदु गोस्वामी (हस्क पावर सिस्टम), सुनील कुमार (आगा खान रूरल सपोर्ट), मयंक जैन (समअर्थ) और नागेंद्र कुमार (उद्यमी) ने अपनी कहानियों को साझा किया और एक मत से राज्य में इन मॉडलों को बड़े पैमाने पर अपनाने का आह्वान किया।
