पप्पू यादव का बड़ा दावा, अगर तेजस्वी सीएम बने तो मुझे मार देंगे, या फिर मुझे बिहार छोड़ना होगा

पटना। बिहार की राजनीति एक बार फिर से बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप के कारण चर्चा में आ गई है। इस बार केंद्र में हैं पूर्णिया के निर्दलीय सांसद और कांग्रेस नेता पप्पू यादव, जिन्होंने एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में तेजस्वी यादव को लेकर ऐसा बयान दे दिया जिससे राजनीतिक माहौल गर्म हो गया। उन्होंने कहा कि अगर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनते हैं, तो या तो उन्हें मार दिया जाएगा या फिर उन्हें बिहार छोड़ना पड़ेगा। हालांकि, कुछ ही समय बाद पप्पू यादव ने अपने इस बयान पर सफाई देते हुए मीडिया पर ही गलत तरीके से बातों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया।
बयान और विवाद की शुरुआत
न्यूज चैनल के एक विशेष कार्यक्रम में जब पप्पू यादव से सवाल किया गया कि तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में उनका क्या होगा, तो उन्होंने जो उत्तर दिया वह काफी चौंकाने वाला था। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि तेजस्वी अगर सीएम बनते हैं तो या तो उन्हें मार दिया जाएगा या उन्हें बिहार छोड़ना होगा। उन्होंने आगे जोड़ा कि कोई बात नहीं, लेकिन एनडीए को हारना ही है। जब पत्रकार ने यह सवाल दोहराया, तब भी उन्होंने कहा कि वे बिहार छोड़कर चले जाएंगे लेकिन संविधान विरोधी ताकतें, गरीब विरोधी और देश विरोधी सोच हार जाएगी।
बयान पर सफाई और मीडिया को दोष
पप्पू यादव के इस बयान के प्रसारित होते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। विपक्षी दलों और खासकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की तरफ से इस बयान की कड़ी आलोचना हुई। लेकिन कुछ ही देर बाद पप्पू यादव ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट डालकर सफाई दी। उन्होंने कहा कि न्यूज चैनल ने उनकी बातों को संदर्भ से काटकर प्रस्तुत किया, जिससे गलतफहमी हुई। उन्होंने मीडिया को नैतिकता की याद दिलाते हुए लिखा कि टीआरपी के लिए पत्रकारिता के उसूलों को ताक पर नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सवाल की प्रकृति हास्यात्मक थी और उन्होंने मजाक में कुछ व्यंग्यात्मक बातें कहीं, जिन्हें गंभीरता से ले लिया गया। उन्होंने कहा कि आजकल कुछ पत्रकार व्यंग्य और मजाक में फर्क नहीं समझते।
तेजस्वी को लेकर पहले से स्पष्ट रुख
पप्पू यादव का यह बयान भले ही अब चर्चा में आया हो, लेकिन वे पहले भी तेजस्वी यादव को महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में स्वीकार नहीं करते रहे हैं। वे हमेशा कहते रहे हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और अन्य घटक दल मिलकर इस पर फैसला करेंगे। उन्होंने कभी राजेश राम का नाम आगे बढ़ाया, तो कभी राहुल गांधी की सहमति से किसी सर्वमान्य नेता के चयन की बात कही। दिल्ली में आयोजित कांग्रेस पार्टी की एक बैठक में भी उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के पास योग्य नेताओं की कमी नहीं है। यहां तक कि उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कभी तारिक अनवर को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। उनके अनुसार राजेश राम भी एक सक्षम उम्मीदवार हो सकते हैं।
राजद की नाराजगी और पप्पू को बाहरी बताना
राजद ने पप्पू यादव के बयान का कड़ा विरोध किया है। पार्टी नेताओं ने उन्हें महागठबंधन से बाहर का व्यक्ति करार देते हुए कहा कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर कोई भ्रम नहीं है। खास बात यह रही कि लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव को पूर्णिया से महागठबंधन का टिकट भी नहीं दिया गया। वह सीट राजद के खाते में गई और बीमा भारती को वहां से मैदान में उतारा गया। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने मिलकर पप्पू यादव को हराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।
पार्टी में प्राथमिकता और अपमान की घटनाएं
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि राजद पप्पू यादव को तेजस्वी की राह का रोड़ा मानती है, इसलिए उन्हें संगठन में कोई खास महत्व नहीं दिया जाता। हाल ही में पटना में राहुल गांधी के एक कार्यक्रम के दौरान पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को उनके वाहन पर चढ़ने से रोका गया था, जबकि तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी को स्थान दिया गया। इस दौरान पप्पू यादव को धक्का दिए जाने और कन्हैया कुमार को रोके जाने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि बिहार की राजनीति में महागठबंधन के भीतर ही नेतृत्व को लेकर सहमति नहीं है और पप्पू यादव की स्पष्टवादिता और तेजस्वी विरोधी रुख भविष्य में और भी सियासी भूचाल ला सकता है।
