September 30, 2025

मुजफ्फरपुर में एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन में भारी बवाल, जदयू और लोजपा कार्यकर्ताओं में मारपीट, खूब चली कुर्सियां, कई घायल

मुजफ्फरपुर। बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल धीरे-धीरे गरमाता जा रहा है। टिकट बंटवारे को लेकर नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच लगातार तनाव की घटनाएं सामने आ रही हैं। ताजा मामला मुजफ्फरपुर का है, जहां एनडीए का कार्यकर्ता सम्मेलन बुरी तरह बवाल में बदल गया। गायघाट विधानसभा क्षेत्र के जारंग हाईस्कूल मैदान में आयोजित इस सम्मेलन में जदयू और लोजपा कार्यकर्ताओं के बीच जमकर मारपीट हुई, कुर्सियां चलीं और मंच पर भी अफरातफरी मच गई।
सम्मेलन का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
यह सम्मेलन एनडीए की ओर से विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर बुलाया गया था। उद्देश्य था कार्यकर्ताओं को एकजुट करना और गठबंधन की ताकत का प्रदर्शन करना। लेकिन समीकरण तब बिगड़ गया जब जदयू नेता प्रभात किरण और लोजपा की पूर्व प्रत्याशी कोमल सिंह के समर्थक आमने-सामने आ गए। दोनों नेता गायघाट विधानसभा क्षेत्र से टिकट के प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं। यही टिकट की होड़ समर्थकों के बीच तनाव का कारण बनी और सम्मेलन का माहौल खराब हो गया।
समर्थकों के बीच भिड़ंत
मंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं के आने से पहले ही दोनों पक्षों के समर्थकों ने आरोप-प्रत्यारोप शुरू कर दिए। कुछ ही देर में नारेबाजी बढ़ी और हाथापाई तक पहुंच गई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि लोग एक-दूसरे पर धक्का-मुक्की करने लगे और भगदड़ मच गई। सूत्रों के अनुसार, समर्थकों ने एक-दूसरे को खदेड़ना शुरू कर दिया और इस दौरान कई लोग घायल हो गए। महिलाओं और बच्चों को भी स्थिति से डरकर वहां से भागना पड़ा।
मंच पर नोकझोंक
हालात केवल मैदान तक सीमित नहीं रहे। मंच पर भी जदयू नेता प्रभात किरण और लोजपा नेत्री कोमल सिंह में तीखी नोकझोंक हुई। दोनों ने अपने-अपने पक्ष को मजबूत बताते हुए एक-दूसरे पर आरोप लगाए। बात इतनी बढ़ गई कि मंच पर रखी टेबल पलट दी गई और कुर्सियों को तोड़ दिया गया। इससे मंच पर मौजूद नेताओं को तुरंत सुरक्षा घेरे में लेना पड़ा।
वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी
सम्मेलन के दौरान मंच पर कई दिग्गज नेता मौजूद थे। इनमें जदयू विधान पार्षद दिनेश सिंह, लोजपा सांसद वीणा देवी, जदयू के पूर्व मंत्री श्याम रजक, पूर्व विधायक महेश्वर प्रसाद यादव और भाजपा नेता अशोक सिंह शामिल थे। इन सभी नेताओं के सामने ही हंगामा बढ़ता रहा और पुलिस को हालात संभालने में मशक्कत करनी पड़ी।
पुलिस की भूमिका
लगातार बढ़ रहे तनाव और मारपीट को देखते हुए पुलिस ने मौके पर डेरा डाल दिया। नेताओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई। हालांकि बाहर समर्थकों के बीच झड़प जारी रही और वे उम्मीदवार की घोषणा करने की ज़िद पर अड़े रहे। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की, लेकिन समर्थकों की भारी भीड़ के कारण मामला देर तक शांत नहीं हुआ। अंततः अतिरिक्त बल बुलाकर हालात को संभाला गया।
राजनीतिक संदेश
इस घटना ने यह साफ कर दिया कि एनडीए गठबंधन के भीतर टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है। समर्थक अब खुलेआम अपने उम्मीदवारों की घोषणा की मांग कर रहे हैं। यह स्थिति आगामी चुनाव में गठबंधन की एकजुटता के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
जनता का नजरिया
सम्मेलन में बड़ी संख्या में स्थानीय मतदाता भी पहुंचे थे। लेकिन हंगामे के कारण वे सुरक्षित स्थान की तलाश में इधर-उधर भागते नजर आए। जो सम्मेलन कार्यकर्ताओं और जनता के बीच विश्वास जगाने का मंच होना चाहिए था, वह हिंसा और अराजकता का उदाहरण बन गया।
आने वाले चुनाव पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि मुजफ्फरपुर की यह घटना आगे आने वाले चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। अगर टिकट बंटवारे में तालमेल नहीं बैठता, तो एनडीए को उम्मीदवार चयन से लेकर जनसंपर्क अभियान तक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। मुजफ्फरपुर के गायघाट विधानसभा क्षेत्र का एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन अंततः हंगामे, मारपीट और कुर्सियों की तोड़फोड़ में बदल गया। यह घटना न केवल एनडीए की आंतरिक खींचतान को उजागर करती है, बल्कि इस बात का संकेत भी देती है कि टिकट की लड़ाई गठबंधन के लिए बड़ा सिरदर्द बनने वाली है। राजनीतिक दल जहां विपक्ष को घेरने की रणनीति बना रहे हैं, वहीं उनके अपने कार्यकर्ता आपसी कलह में उलझकर गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में यह चुनौती एनडीए के लिए परीक्षा साबित होगी।

You may have missed