वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ पटना के गर्दनीबाग में विशाल प्रदर्शन, लालू और तेजस्वी हुए शामिल

पटना। गर्दनीबाग में वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ, जिसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के नेतृत्व में विभिन्न मुस्लिम संगठनों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भाग लिया। इस आंदोलन को लेकर बिहार को एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाया गया है, जहां राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों को इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया।
लालू यादव और तेजस्वी यादव का समर्थन
इस विरोध प्रदर्शन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव भी शामिल हुए। लालू यादव ने पहले से ही इस विधेयक के विरोध में अपनी आवाज उठाई थी और अब उन्होंने इस प्रदर्शन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर मुस्लिम संगठनों के प्रति अपना समर्थन जताया। उनकी पार्टी के अन्य नेता भी इस धरने में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।
देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत पटना से
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस विधेयक के खिलाफ देशभर में आंदोलन छेड़ने का फैसला किया है और इसकी शुरुआत पटना से हुई है। मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को सरकार के नियंत्रण में लाने की एक साजिश है। इसे लेकर समुदाय के लोगों में गहरी नाराजगी है, और वे इसे साम्प्रदायिक भावना से प्रेरित बताते हैं।
राजनीतिक दलों से समर्थन की मांग
इस विधेयक के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने बिहार के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों से समर्थन मांगा है। खासतौर पर उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान से अपील की है कि वे इस विधेयक के विरोध में खुलकर सामने आएं।
समाजवादी पार्टी के सांसद की उपस्थिति
इस विरोध प्रदर्शन में समाजवादी पार्टी के रामपुर से सांसद मौलाना मोहिब्बुल्लाह भी पहुंचे। उन्होंने इस आंदोलन को जरूरी बताते हुए कहा कि इस विधेयक से अल्पसंख्यकों के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों पर असर पड़ेगा।
एआईएमपीएलबी का मोदी सरकार पर हमला
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह विधेयक साम्प्रदायिक इरादे से लाया गया है और इसका उद्देश्य केवल वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बोर्ड किसी राजनीतिक मकसद से नहीं, बल्कि समुदाय के हितों की रक्षा के लिए इस लड़ाई को लड़ रहा है।
विरोधियों का तर्क और सरकार का पक्ष
जहां मुस्लिम संगठनों का दावा है कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों की धार्मिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए लाया गया है, वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि इस विधेयक से वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा और पारदर्शिता बढ़ेगी। हालांकि, विरोध करने वाले इसे एक साजिश करार दे रहे हैं और इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। एआईएमपीएलबी और अन्य संगठनों ने चेतावनी दी है कि वे इस मुद्दे पर पूरे देश में बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर बिहार की राजनीति में आगे क्या हलचल होती है और अन्य दल इस पर क्या रुख अपनाते हैं।
वक्फ बिल पर केंद्र सरकार के साथ जेडीयू
सब की निगाह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिकी है। नीतीश कुमार की सेक्युलर छवि को लेकर बिल के विरोध में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को समर्थन की उम्मीद है। तमाम सेक्युलर सियासत करने वाले लोगों को अल्पसंख्यक समुदाय की ओर से आमंत्रित किया गया है। देश भर से बिल के विरोध में देश भर से मौलाना और उलेमा इकट्ठा हुए हैं।
बिल पर बिहार विधानमंडल में हंगामा
बिहार विधान मंडल के बजट सत्र के दौरान भी विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की। विपक्ष ने विधानसभा में वफ्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर जमकर प्रदर्शन किया है और सरकार से मांग की है कि सदन में प्रस्ताव पारित कर वफ्फ बिल संशोधन का विरोध करें और इसे केंद्र सरकार को भेजने का काम सरकार करें।
वफ्फ का अधिकार छीनने की कोशिश
भाकपा माले के विधायक महबूब आलम ने कहा कि वफ्फ बिल संशोधन का विरोध लगातार हो रहा है और केंद्र में बैठी सरकार इस मुद्दे को सुन नहीं रही। उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार वफ्फ बोर्ड संशोधन बिल को लागू कर वफ्फ का अधिकार छीनना चाहती है जो की गलत है।
