हिंदी विज्ञान और तकनीक की भाषा बने : उपमुख्यमंत्री

  • हिंदी के अविरल प्रवाह को जीवंत बनाने में बिहार साहित्य सम्मेलन की बड़ी भूमिका

पटना। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभागार में डॉ. रंगी प्रसाद ‘रंगम’ की जयंती एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन ने हिंदी की अविरल प्रवाह और निर्मलता को जीवंत रखा है। बिहार में विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं की समृद्ध विरासत के बावजूद राजभाषा हिंदी पुष्पित एवं पल्लवित होती रही है। उन्होंने कहा कि साहित्य सम्मेलन ने हिंदी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हमें हिंदी को विज्ञान और तकनीक की भाषा बनाने के लिए काम करना होगा।


उपमुख्यमंत्री ने कहा कि साहित्य और राजनीति के बीच गहरा संबंध है। उन्होंने दिनकर को उद्धृत करते हुए कहा कि जब-जब सत्ता लड़खड़ाती है तो उसे साहित्य ही संभालता है। निश्चित रूप से हमारे साहित्यकार एवं कवियों की पैनी नजर समसामयिक घटनाओं, सामाजिक और राजनीतिक परिवेश पर रहती है, जो उनकी रचनाओं में परिलक्षित होते रहती है।
इस अवसर पर सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद, सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ, उपाध्यक्ष डॉ. शंकर प्रसाद, प्रख्यात साहित्यकार डॉ. शिववंश पांडे इत्यादि अन्य साहित्यकारों ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखे। इस दौरान डॉ. शिववंश पांडे द्वारा रचित चार पुस्तकों का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष डा. राज्यवर्धन आजाद, सुनील कुमार दुबे, उत्पल कुमार, मनदीप कुमार, डॉ. सुधीर, श्री शशिभूषण, कृष्ण रंजन सिंह, प्रवीण पंकज, आनंद मोहन सहित कई साहित्य प्रेमी, हिंदी प्रेमी और प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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