महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की 91 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण, लोगों में हर्ष का माहौल

सिंधुदुर्ग। महाराष्ट्र के तटीय जिले सिंधुदुर्ग स्थित ऐतिहासिक राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की 91 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा का अनावरण रविवार को एक भव्य समारोह में किया गया। नौ महीने पहले गिरी 35 फीट ऊंची प्रतिमा की जगह अब इस भव्य प्रतिमा ने ले ली है, जिसके निर्माण में उच्च तकनीक और स्थायित्व का विशेष ध्यान रखा गया है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे। समारोह में स्थानीय जनता से लेकर दूर-दराज से आए शिवाजी अनुयायियों की भारी भीड़ देखी गई। पूरा वातावरण देशभक्ति और श्रद्धा से सराबोर था। मुख्यमंत्री फडणवीस ने अपने संबोधन में कहा, “यह प्रतिमा न केवल छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य और आदर्शों का प्रतीक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्तंभ भी बनेगी। हमने सुनिश्चित किया है कि यह प्रतिमा कम से कम 100 वर्षों तक हर मौसम और हर आपदा को झेल सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पिछली प्रतिमा के गिरने के बाद सरकार ने इसे प्रतिष्ठा का विषय मानते हुए, और अधिक भव्य प्रतिमा के निर्माण का निर्णय लिया था। उल्लेखनीय है कि अगस्त 2024 में 35 फीट ऊंची शिवाजी प्रतिमा, अपने अनावरण के आठ महीने के भीतर ही गिर गई थी। उस घटना से सरकार की काफी किरकिरी हुई थी और मूर्तिकार-ठेकेदार जयदीप आप्टे की गिरफ्तारी भी हुई थी। नई प्रतिमा का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार और अनिल सुतार की कंपनी राम सुतार आर्ट क्रिएशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया गया है। यह वही फर्म है जिसने गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण किया था। इस प्रतिमा की कुल ऊंचाई 91 फीट है, जिसमें 10 फीट का आधार शामिल है। फडणवीस ने बताया कि इस प्रतिमा के निर्माण में IIT इंजीनियरों और जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स के विशेषज्ञों की मदद ली गई है। इसे ऐसे डिज़ाइन किया गया है कि यह अतीत में आए तूफानों की तुलना में कहीं अधिक तीव्र तूफानों को भी सह सके। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, “अगस्त में घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद हमने तय कर लिया था कि शिवाजी महाराज की एक और भव्य और मजबूत प्रतिमा बनाई जाएगी, और आज हम उस संकल्प को साकार होते देख रहे हैं। सरकार ने किले के आसपास की भूमि को भी अधिग्रहित करने की योजना बनाई है ताकि पर्यटन और सुविधाओं को और बेहतर किया जा सके। इस ऐतिहासिक दिन पर पूरे सिंधुदुर्ग जिले में हर्ष और गौरव का माहौल रहा।
