November 18, 2025

प्रदेश के पांच जिलों में भारी बारिश का अलर्ट, पटना में चलेगी तेज हवाएं, बाढ़ जैसे हालात, खेती पर असर

पटना। बिहार में मॉनसून एक बार फिर सक्रिय हो गया है और राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। मौसम विभाग ने विशेष रूप से सीवान, सारण, भोजपुर, कैमूर, बक्सर और रोहतास जिलों में भारी से अति भारी वर्षा का अलर्ट जारी किया है। इन इलाकों में 64.5 से 204.4 मिलीमीटर तक बारिश होने की संभावना जताई गई है। साथ ही वज्रपात और 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चल सकती हैं।
पटना समेत कई जिलों में मध्यम बारिश और जलजमाव की आशंका
राज्य की राजधानी पटना में भी गुरुवार को आंशिक से मध्यम बारिश का अनुमान है। यहां 15.6 से 64.4 मिमी बारिश हो सकती है। शहर में बुधवार को रुक-रुककर हुई 14.6 मिमी बारिश ने दानापुर, कंकड़बाग और खगौल जैसे इलाकों में जलजमाव की स्थिति पैदा कर दी थी। गुरुवार को भी सुबह और दोपहर में बारिश की संभावना है, जिससे जल निकासी की समस्या और गंभीर हो सकती है।
बीते 24 घंटे में कई जिलों में तेज बारिश दर्ज
बुधवार को बिहार के कई जिलों में भारी बारिश दर्ज की गई। मधुबनी में सर्वाधिक 225 मिमी बारिश हुई, जबकि गया जिले के डोभी में 186.8 मिमी, शेरघाटी में 181.4 मिमी और फतेहपुर में 180.2 मिमी वर्षा हुई। समस्तीपुर, जमुई, सहरसा, रोहतास, वैशाली और भागलपुर सहित कई जिलों में भी 50 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
नदियों का जलस्तर बढ़ा, बाढ़ के हालात
लगातार बारिश के चलते कई नदियां उफान पर हैं। फल्गु नदी ने अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और इसका पानी जहानाबाद-बिहार शरीफ एनएच-33 पर चढ़ गया है, जिससे यातायात बाधित हो गया है। नवादा के रजौली में खुरी नदी का पानी धमनी-सवैयाटांड़ मार्ग पर बह रहा है, जिससे ग्रामीण इलाकों में संपर्क टूट गया है। फल्गु और सोन नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण डाउन स्ट्रीम बराज के 40 में से 38 गेट खोलने पड़े हैं।
मानसून की कुल बारिश में भारी कमी
हालांकि हाल की बारिश से थोड़ी राहत मिली है, फिर भी पूरे बिहार में मानसून की बारिश अब तक सामान्य से 46 प्रतिशत कम रही है। 16 जुलाई तक राज्य में औसतन 349.1 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, जबकि अभी तक सिर्फ 189 मिमी हुई है। सीतामढ़ी में 84%, सहरसा में 78% और पूर्वी चंपारण में 76% वर्षा की कमी दर्ज की गई है, जिससे इन जिलों में सूखे जैसे हालात बन गए हैं।
कुछ जिलों में औसत से अधिक बारिश
इसके विपरीत, नवादा में सामान्य से 13% अधिक वर्षा (321.4 मिमी) दर्ज की गई है। औरंगाबाद और जमुई में भी 10% अधिक बारिश हुई है। हालांकि किशनगंज जैसे सीमांचल जिले, जहां आमतौर पर भरपूर बारिश होती है, इस बार 54% बारिश की कमी से जूझ रहे हैं।
धान की खेती पर असर, किसानों की चिंता
बारिश की कमी ने राज्य में खरीफ फसलों खासकर धान की बुवाई को प्रभावित किया है। कई जिलों में धान की रोपनी नहीं हो सकी है। लेकिन पिछले कुछ दिनों की बारिश से किसानों को कुछ राहत जरूर मिली है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में रोपनी का कार्य तेज होगा।
वज्रपात से जनहानि, प्रशासन अलर्ट पर
राज्य में वज्रपात की घटनाएं भी सामने आई हैं। पिछले 48 घंटों में सहरसा और कटिहार में तीन लोगों की मौत वज्रपात से हो चुकी है। इस खतरे को देखते हुए मौसम विभाग ने लोगों को सतर्क रहने और खुले स्थानों पर न जाने की सलाह दी है।
प्रशासन की तैयारी और राहत कार्य
जल संसाधन विभाग और एनडीआरएफ की टीमें बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्य में जुटी हुई हैं। सहरसा, मधेपुरा और भागलपुर में गंगा और कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि ने प्रशासन को अलर्ट मोड में ला दिया है। पटना में जल निकासी के लिए पंपों और जरूरत पड़ने पर नावों की व्यवस्था करने की सलाह दी गई है। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले दो-तीन दिनों तक बारिश का सिलसिला जारी रहेगा, लेकिन 18 जुलाई के बाद इसमें कमी आ सकती है और तापमान फिर से 34 से 36 डिग्री तक पहुंच सकता है।

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