November 17, 2025

सड़क दुर्घटना में मदद करने वालों को अब सरकार देगी 25 हजार की राशि, गुप्त रखा जाएगा पहचान

पटना। जिला परिवहन कार्यालय ने सड़क सुरक्षा और जनहित को ध्यान में रखते हुए एक अहम कदम उठाया है। अब सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों को अस्पताल पहुंचाने वाले मददगारों यानी गुड सेमेरिटन को सम्मान और सुरक्षा देने पर जोर दिया जाएगा। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि उनकी पहचान गुप्त रखी जाएगी और उन्हें झंझटपूर्ण पूछताछ से बचाया जाएगा। इसके अलावा, आर्थिक प्रोत्साहन के तहत इनाम की राशि दस हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी गई है।
मददगारों की गुमनामी होगी सुरक्षित
अक्सर सड़क दुर्घटनाओं में मदद करने से लोग इसलिए पीछे हट जाते हैं क्योंकि उन्हें डर रहता है कि पुलिस या अस्पताल प्रशासन बार-बार पूछताछ करेगा, मुकदमों में उलझना पड़ेगा या अदालत के चक्कर लगाने पड़ेंगे। इस मानसिकता को बदलने के लिए जिला परिवहन कार्यालय ने साफ निर्देश जारी किए हैं कि कोई भी व्यक्ति यदि घायल को अस्पताल पहुंचाता है, तो उससे अत्यधिक पूछताछ नहीं की जाएगी। उसकी पहचान भी सार्वजनिक नहीं की जाएगी।
पुलिस और अस्पताल को निर्देश
निर्देशों में कहा गया है कि मददगार से केवल जरूरी जानकारी ही ली जाएगी और उससे एक से अधिक बार बयान नहीं लिया जाएगा। पुलिस और निजी-सार्वजनिक अस्पतालों को इस बात पर सख्ती से अमल करने के लिए कहा गया है। ऐसा करने से आम लोग निडर होकर सड़क हादसे में पीड़ितों की मदद कर सकेंगे।
आर्थिक प्रोत्साहन बढ़ा
गुड सेमेरिटन कानून में हाल में किए गए बदलाव के तहत पहले जहां मददगार को 10 हजार रुपये इनाम दिया जाता था, अब यह राशि बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी गई है। इसका मकसद उन लोगों को सम्मान और हौसला देना है, जो दूसरों की जान बचाने के लिए तत्पर रहते हैं। आर्थिक प्रोत्साहन से यह उम्मीद की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस दिशा में आगे आएंगे और सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों की मदद करेंगे।
सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा
प्रशासन का मानना है कि इस नीति का उद्देश्य केवल इनाम देना नहीं है, बल्कि समाज में सहयोग, मानवता और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देना है। यह फैसला राजनीतिक और सामाजिक सरोकार दोनों का संदेश देता है। लोगों में यह विश्वास पैदा होगा कि दुर्घटना में मदद करने पर वे किसी कानूनी या प्रशासनिक झंझट में नहीं फंसेंगे।
गोल्डन आवर का महत्व
विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क दुर्घटनाओं में पहली 60 मिनट की अवधि को ‘गोल्डन आवर’ कहा जाता है। इस दौरान यदि घायल को समय पर प्राथमिक इलाज और अस्पताल तक पहुंचा दिया जाए, तो उसकी जान बचाई जा सकती है। ऐसे में मददगारों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर लोग बिना किसी डर के घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाते हैं, तो कई जानें बचाई जा सकती हैं।
जागरूकता अभियान
पटना जिला परिवहन कार्यालय ने इस दिशा में पुलिस प्रशासन के साथ बैठक कर पूरी रणनीति बनाई है। ज्यादा से ज्यादा लोग गुड सेमेरिटन बनें, इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संस्थानों में लोगों को बताया जाएगा कि दुर्घटना में मदद करना न केवल एक जिम्मेदारी है, बल्कि यह मानवता का सबसे बड़ा काम भी है।
सम्मान और सुरक्षा की गारंटी
नई नीति में स्पष्ट कर दिया गया है कि मददगारों की सुरक्षा और सम्मान सरकार की जिम्मेदारी होगी। उनकी पहचान गुप्त रखे जाने से वे बिना किसी झिझक के आगे आएंगे। आर्थिक इनाम उनकी मदद करने की प्रेरणा को और मजबूत करेगा।
पूरे बिहार के लिए संदेश
हालांकि यह पहल पटना से शुरू की गई है, लेकिन इसका असर पूरे बिहार में देखने को मिलेगा। यह नीति न केवल सड़क सुरक्षा को मजबूत बनाएगी, बल्कि सामाजिक रिश्तों में भी आपसी विश्वास और सहकारिता को आगे बढ़ाएगी। प्रशासन मानता है कि यह बदलाव पूरे राज्य के नागरिकों के लिए एक नया संदेश है कि सड़क दुर्घटनाओं से लड़ने में समाज और शासन दोनों को साथ आना होगा। पटना जिले की यह पहल समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाली है। सड़क दुर्घटना में घायल की मदद करने वाले लोगों को अब झंझट का सामना नहीं करना पड़ेगा, उनकी पहचान गुप्त रखी जाएगी और 25 हजार रुपये तक का इनाम भी दिया जाएगा। यह कदम न केवल मददगारों की हौसला अफजाई करेगा, बल्कि अधिक से अधिक लोगों को संकट की घड़ी में आगे आने के लिए प्रेरित करेगा। इस नीति से सड़क पर होने वाले हादसों में जिंदगी बचाने की संभावना और बढ़ जाएगी और समाज में सहयोग व मानवता की संस्कृति को मजबूती मिलेगी।

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