बिहार के पेंशनधारी अगर चाहेंगे तो बिहार सरकार यूपीएस पर विचार करेगी: देवेश चंद्र ठाकुर

पटना। महाराष्ट्र देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को लागू किया है। इस कदम के बाद देशभर में चर्चा हो रही है कि क्या अन्य राज्य भी इस नई पेंशन योजना को अपनाएंगे। इसी संदर्भ में बिहार के जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि यदि बिहार के पेंशनधारी इस योजना को चाहते हैं, तो राज्य सरकार इसके लागू करने पर गंभीरता से विचार करेगी। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम की प्रशंसा की और इसे पेंशनधारियों के लिए लाभकारी बताया। उन्होंने कहा, “यदि बिहार में पेंशनधारी इस स्कीम को लागू करने की मांग करते हैं, तो राज्य सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। यह योजना पेंशनधारियों के लिए बहुत अच्छी है और इससे उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।” ठाकुर ने यह भी उल्लेख किया कि पेंशनधारियों की लंबे समय से ऐसी योजना की मांग रही है जो उन्हें अधिक वित्तीय स्थिरता प्रदान कर सके। उन्होंने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में खुशी की लहर है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का लगभग 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा। यह योजना 2004 के बाद सेवा में शामिल हुए कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। यूपीएस में कर्मचारियों का अंशदान राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के मौजूदा 10 प्रतिशत के बराबर रहेगा, जबकि सरकार अपना अंशदान 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत करेगी। इसके अलावा, इस योजना में पारिवारिक पेंशन, गारंटीकृत न्यूनतम पेंशन, और सेवानिवृत्ति के बाद एकमुश्त भुगतान जैसे प्रावधान भी शामिल हैं। इन सुविधाओं से कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक चिंता से मुक्ति मिलेगी और वे अपने जीवन को अधिक सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से जी सकेंगे। बिहार में यदि यह योजना लागू होती है तो इससे राज्य के लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा। हालांकि, इसे लागू करने के लिए राज्य सरकार को वित्तीय व्यवस्थाओं पर ध्यान देना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि इससे राज्य के बजट पर अत्यधिक बोझ न पड़े। कुछ कर्मचारी संगठनों द्वारा इस योजना का विरोध किए जाने के सवाल पर देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा, “हर व्यक्ति हर चीज से संतुष्ट नहीं होता, लेकिन अधिकांश लोग इस स्कीम के पक्ष में हैं।” उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा इस मुद्दे पर राजनीति करने की आलोचना करते हुए कहा कि यदि यह योजना इतनी ही अच्छी थी तो यूपीए सरकार के दौरान क्यों नहीं लागू की गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के इस सकारात्मक रुख से संकेत मिलता है कि बिहार सरकार इस मुद्दे पर पेंशनधारियों की मांगों को गंभीरता से लेगी। यदि व्यापक स्तर पर पेंशनभोगी और कर्मचारी संगठनों से समर्थन मिलता है, तो सरकार आगामी दिनों में इस दिशा में कदम उठा सकती है। हालांकि, राज्य सरकार को इस योजना के आर्थिक पहलुओं और दीर्घकालिक प्रभावों का विस्तृत अध्ययन करना होगा। साथ ही, विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत करके सर्वसम्मति बनानी होगी ताकि योजना का सफल कार्यान्वयन हो सके। महाराष्ट्र द्वारा यूनिफाइड पेंशन स्कीम को लागू करने के बाद देश के अन्य राज्यों में भी इस पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है। बिहार में जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर के बयान से स्पष्ट होता है कि यदि पेंशनधारियों की मांग होती है तो राज्य सरकार इस दिशा में सकारात्मक कदम उठा सकती है। यह योजना राज्य के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आर्थिक सुरक्षा का मजबूत आधार प्रदान कर सकती है। आने वाले दिनों में देखने वाली बात होगी कि बिहार सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है और कैसे यह योजना राज्य के विकास और कर्मचारियों के कल्याण में योगदान देगी।
