वोटबंदी और SIR की आड़ में वंचितों की अंगुली काटने की साजिश: राजेश राम

पटना। महाभारत के आदि पर्व में एक कथा का वर्णन मिलता है- द्रोणाचार्य और निषादपुत्र एकलव्य की कथा, जहाँ स्वयं अभ्यास से कुशल धनुर्धर बने एकलव्य का अंगूठा गुरु दक्षिणा की आड़ में मांग लिया जाता है। आज भाजपा और जदयू गठबंधन के निशाने पर बिहार के दलित-पिछड़ा समाज से आने वाले तमाम एकलव्य हैं, SIR की आड़ में जिनकी अंगुली काटकर भाजपा-जदयू सत्ता पर कब्जा जमाना चाहते हैं। यह वोटबंदी रुपी SIR न केवल बिहार के अस्तित्व पर सवालिया निशान है बल्कि दलितों-पिछड़ों के अधिकारों की छीनने की भयावह साजिश है। मगर इनके मंसूबों को महागठबंधन कामयाब नहीं होने देगा। ये बातें बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने कही। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि चुनाव आयोग के मुताबिक 52 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाने की बात सामने आ रही है। जबकि अभी साल भर पहले इन्हीं लोगों ने लोकसभा के सांसद चुनकर भेजे हैं और अगर ये फर्जी हैं, तो फिर भाजपा-जदयू के सांसद भी फर्जी हैं, उन सांसदों से बनी NDA की केंद्र सरकार भी फर्जी है। ऐसे में NDA के सांसदों से इस्तीफा दिलवाकर विधानसभा के साथ उपचुनाव करवाए जाएं। लेकिन भाजपा सरकार ऐसा करेगी नहीं। फिर आखिर पूरे देश में बिहारियों से ही नागरिकता साबित करने के लिए क्यों कहा जा रहा है? प्रधानमंत्री और गृह मंत्री दोनों को सबसे पहले अपने गृह राज्य से इसकी शुरुआत करनी चाहिए। मगर, बिहार और बिहारियों का अपमान भाजपा की फितरत बन चुकी है, जदयू इसमें बराबर की भागीदार है और चुनाव आयोग को हथियार बनाया गया है। SIR के जरिए सरकार और चुनाव आयोग दोनों मिलीभगत करके बिहार के वोटों की चोरी तो कर ही रहे हैं, बल्कि इसकी आड़ में बिहार के दलितों-पिछड़ों के अधिकार छीनने की बड़ी साजिश की तैयारी हो रही है। आजादी के बाद से ही आवास से लेकर राशन और शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य की कई जन-कल्याणकारी योजनाएं समय-समय पर सरकारों द्वारा चलाई गई है। इन योजनाओं का लाभ भारत के नागरिकों को मिलता है, लेकिन SIR के जरिए जब बिहार के दलित-पिछड़ों का नाम वोटर लिस्ट से ही काटा जा रहा है, तो उनको इन योजनाओं का लाभ कैसे मिलेगा? वोटर लिस्ट से नाम कटने के बाद न उनको पीएम आवास का लाभ मिलेगा और न ही फ्री राशन जैसी योजनाओं का। इसलिए SIR के जरिए वोट चोरी तो हो ही रही है, बल्कि अधिकारों की चोरी भी हो रही है और बिहार का दलित-पिछड़ा समाज इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने पलायन की समस्या पर बोलते हुए कहा कि पिछले 20 साल के दौरान बिहार में अधिकांश समय भाजपा-जदयू की सरकार रही है। अब अगर मौजूदा समय में पलायन के आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग 80 लाख लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं। एक तरफ भाजपा-जदयू सरकार ने इन लाखों लोगों को पलायन के लिए मजबूर किया और अब SIR की आड़ में उनके वोट काटे जा रहे हैं। जबकि छठ जैसे पर्व के दौरान भरी हुई ट्रेनें इस बात की गवाह है कि बिहार का दलित-पिछड़ा वर्ग मजदूरी की तलाश में पलायन भले कर गया, मगर उसने अपनी जन्मभूमि को छोड़ा नहीं है। अब भाजपा-जदयू वोट चोरी करके उनके अधिकारों और बिहार प्रेम पर चुनाव आयोग के जरिए खुलेआम वार कर रही है।SIR की इस पूरी प्रक्रिया में गड़बड़ियों की आशंका पर बोलते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि SIR के दौरान बिहार के हर कोने से गड़बड़ियों की खबरें आ रही है और अधिकांश खबरें ग्रामीण इलाकों, दलितों-पिछड़ों के क्षेत्र से आ रही है। कई जगहों पर BLO द्वारा खुद ही दस्तख़त करने की खबरें आ रही है, तो कई जगहों पर BLO एक जगह बैठकर ही सत्यापन कर रहे हैं, तो बेगूसराय में स्थानीय मतदाताओं की सहमति या हस्ताक्षर के बिना ही फॉर्म जमा करा दिए गए, एक मामले में तो मृतक का ही फॉर्म जमा करा दिया गया। इस तरह के मामले न केवल चुनाव आयोग की साख बल्कि SIR के जरिए दलितों-पिछड़ों के मताधिकार के खिलाफ एक बड़ी साजिश का संकेत कर रहे हैं। बिहार में महागठबंधन इसके खिलाफ मजबूती से आवाज़ उठा रहा है और हम बिहार के साथ किसी को भी अन्याय नहीं कर देंगे। धीरे-धीरे बिहार की जनता को चुनाव आयोग की साजिश का पता चल चुका है। NDA गठबंधन तक में अंदरखाने SIR के खिलाफ असंतोष है, जिसकी बानगी जदयू के सांसद-विधायकों के बयानों में झलकने लगी है। अब बिहार चुप नहीं रहेगा। बिहारी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ना जानता है और कांग्रेस पार्टी, इस लड़ाई में हर दलित, हर वंचित, हर मज़दूर, हर पिछड़े, हर बिहारी के साथ खड़ी है। अंत में उन्होंने कहा कि हम सवाल पूछेंगे। हम जवाब माँगेंगे- संविधान के लिए, बिहार के लिए। और सरकार को जवाब देना होगा।
