आंध्र प्रदेश में आधार की तर्ज पर पशुओं के लिए बनेगा गोधार पोर्टल, गाय और भैंसों की बनेगी आईडी

तिरुपति। भारत में डिजिटल क्रांति के बीच अब इंसानों की तरह मवेशियों को भी यूनिक पहचान देने की दिशा में अहम कदम उठाया गया है। आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के कुछ युवा उद्यमियों ने मिलकर एक अनोखा ऐप विकसित किया है, जिसका नाम ‘गोधार’ रखा गया है। यह ऐप पशुओं के लिए आधार कार्ड की तरह काम करेगा, जिसके माध्यम से हर गाय और भैंस को एक अलग डिजिटल पहचान दी जाएगी।
गोधार ऐप की प्रेरणा और कार्यप्रणाली
इस ऐप की प्रेरणा आधार कार्ड प्रणाली से ली गई है। जिस तरह आधार कार्ड में प्रत्येक नागरिक को एक विशिष्ट पहचान मिलती है, ठीक उसी तरह गोधार ऐप भी प्रत्येक मवेशी की पहचान सुनिश्चित करेगा। गोधार ऐप के माध्यम से गाय और भैंसों की तस्वीर ली जाएगी और उनके मांसपेशियों के पैटर्न को स्कैन करके एक यूनिक आईडी जनरेट की जाएगी। यह प्रक्रिया कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग तकनीक पर आधारित है। ऐप के माध्यम से सिर्फ एक तस्वीर से मवेशियों के शरीर पर मौजूद मसल पैटर्न को स्कैन कर उसकी अलग पहचान बनाई जा सकती है। यह तकनीक इंसानों के फिंगरप्रिंट की तरह काम करती है, क्योंकि मवेशियों की मांसपेशियों के पैटर्न भी उतने ही यूनिक होते हैं।
प्रौद्योगिकी और पेटेंट प्रक्रिया
गोधार ऐप को विकसित करने वाली टीम ने इस तकनीक को शुरू से ही खुद तैयार किया है। इसमें एआई और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का गहरा उपयोग किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक ही तस्वीर से किसी मवेशी की पहचान सही तरीके से हो सके। इस परियोजना को पेटेंट कराने की प्रक्रिया भी जारी है और इसकी तकनीकी प्रस्तुति आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और विभिन्न मंत्रालयों के सामने की जा चुकी है, जहां इसे सराहना मिली है।
गोधार आईडी: एक समग्र पहचान प्रणाली
इस ऐप के माध्यम से जो यूनिक गोधार आईडी बनती है, वह उस मवेशी के जन्म से लेकर मृत्यु तक की पूरी जानकारी को अपने अंदर समाहित कर सकती है। इसमें पशु के स्वास्थ्य से जुड़ी हर रिपोर्ट, उसका इलाज, टीकाकरण, उत्पादन क्षमता और अन्य विवरण दर्ज किए जा सकते हैं। इससे पशुपालकों को अपने पशुओं का पूरा रिकॉर्ड रखने में सुविधा होगी।
किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में कदम
गोधार ऐप का सबसे बड़ा उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाना है। पशुओं की ट्रैकिंग आसान होने से पशुपालन से जुड़े फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी और सरकारी योजनाओं का सही लाभ जरूरतमंद किसानों तक पहुंच सकेगा। साथ ही यह ऐप ग्रामीण भारत में तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण की दिशा में एक और मजबूत कदम है।
भविष्य की संभावनाएं और विस्तार की योजना
इस ऐप की सराहना सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका और जापान जैसे देशों में भी हो रही है, जहां इसके मॉडल को अपनाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। यह पहल न केवल पशुधन प्रबंधन को अधिक प्रभावी बना सकती है, बल्कि सरकार और किसानों के बीच बेहतर तालमेल और पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकती है। गोधार ऐप जैसे नवाचारों से न केवल तकनीकी दक्षता सामने आती है, बल्कि यह ग्रामीण युवाओं की प्रतिभा, उनकी सोच और किसानों के हित में हो रहे बदलावों को भी उजागर करता है। यदि इस परियोजना को बड़े स्तर पर लागू किया गया तो यह भारत के पशुधन प्रबंधन का चेहरा बदल सकता है।

You may have missed