केंद्र बिहार को तुरंत विशेष राज्य का दर्जा दें, तभी सभी काम जल्द पूरा होगा : उपमुख्यमंत्री

  • पटना में तेजस्वी ने की पीसी, कहा- पीएम ने वादा किया है कि बिहार को स्पेशल दर्जा दिलाएंगे, अब वे उसके पूरा करें

पटना। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कई मंत्रियों के साथ गुरुवार को पीसी की। जातीय गणना और विशेष राज्य के दर्जे को लेकर तेजस्वी ने सरकार की बात रखी। इसे बड़ी उपलब्धि बताया। डिप्टी सीएम ने कहा कि केंद्र बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दें, ताकि काम जल्द पूरा हो। पीएम नरेंद्र मोदी ने वादा किया है कि बिहार को स्पेशल दर्जा दिलाएंगे। बिहार ने देश को दिशा दिखाने का काम किया है। देश भर में जातीय गणना करने के मांग की थी। सभी दल के नेता पीएम से मिले। बात नहीं बनी। फिर हमने बिहार में कराया। तेजस्वी ने कहा कि 2 अक्टूबर को जातीय गणना के आंकड़े जारी हुए। बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां साइंटिफिक डाटा है। बिहार की सरकार गरीबों की सरकार है। अब जब आंकड़े सामने आए हैं। हर जाति में गरीबी है। एससी, एसटी, ओबीसी, ईबीसी और सवर्ण में भी गरीबी हैं। सदन में सभी लोगों ने आरक्षण बढ़ाने को कहा है। बिहार में आरक्षण 75 फीसदी पहुंच गया है। आंकड़े सामने हैं। गरीब परिवार को दो लाख रुपए दिए जाएंगे। जातीय गणना आसानी से नहीं हुई है। लोगों को लाभ दिलाने में देरी हुई। इसलिए हमने तय किया कि आरक्षण को नौवीं अनुसूची में डाले। तमिलनाडु का 69 फीसदी आरक्षण शेड्यूल 9 में शामिल है। बिना सोचे और बिना बिलंब केंद्र सरकार इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करे। बिहार बीजेपी के नेताओं से डिप्टी सीएम ने इसे आगे बढ़ाने की अपील की है। विशेष राज्य के दर्जे पर बीजेपी के सवाल उठाने पर उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार को बिहार विशेष दर्जा देने की बात कही थी या नहीं। विशेष दर्जा नहीं तो कम से कम पैकेज दीजिए। वहीं, मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि नब्बे दस का औसत तो दीजिए। अब तो केंद्र और राज्य का 50-50 हो गया है। विजय चौधरी ने कहा है कि बिहार में आरक्षण बढ़ाया है। इसे नौवीं अनुसूची में डाला जाए। अनावश्यक इसे कोर्ट में फंसाया नहीं जाए। नौवीं अनुसूची का गठन इसी लिए हुआ था कि किसी प्रगतिशील कानून बनाया जाए। यदि मौलिक अधिकार का हनन भी होता है तो इसमें आया। बिहार का यह सौभाग्य रहा है कि नौवीं अनुसूची में पहला जमींदारी उन्मूलन कानून जोड़ा गया। 1951 में श्री बाबू लाए थे। सवर्णों को, गरीबों को न्याय दिलाना है। अनावश्यक कोर्ट के पचड़े में नहीं फंसाया जाए। इसलिए हमने भारत सरकार से मांग की है कि संविधान संशोधन कर नौवीं अनुसूची में डाला जाए।

 

About Post Author

You may have missed