कटिहार में युवती से दुष्कर्म, गांव के युवक ने की हैवानियत, मामला दर्ज

कटिहार। कटिहार जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के एक गांव में युवती के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है, जिसने पूरे गांव वासियों को झकझोर कर रख दिया है। पुलिस ने घटना को गंभीरता से लेते हुए मामला दर्ज कर आरोपित युवक के विरुद्ध कार्रवाई करने की घोषणा की है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में पीड़िता और उसके परिजनों के साथ गांव की पंचायत द्वारा बरती गई रवैया सवालों के घेरे में है। घटना की जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि 20 वर्षीय पीड़िता ने 19 जुलाई की दोपहर को मुफस्सिल थाना में लिखित रूप से आवेदन देकर दुष्कर्म की शिकायत की। पीड़िता ने अपनी तकदीर सुनाते हुए बताया कि उस दिन वह अपने घर में अकेली थी, तभी गांव के 22 वर्षीय युवक ने जबरदस्ती उसके कमरे में घुसकर उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता के कसमसाने और चिल्लाने की आवाज सुनकर पड़ोस की महिलाएं मौके पर पहुंची, मगर तब तक आरोपी युवक मौके से भाग चुका था। घटना के बाद पीड़िता के परिजनों ने गांव के सरपंच पति को सूचित किया। हालांकि, बजाय इंसाफ की उम्मीद जगाने के, सरपंच पति ने पंचायत बैठाने की बात कहकर पीड़िता पक्ष को कुछ देर के लिए सांत्वना दी। लेकिन, जब पंचायत बैठी तो उसमें पीड़िता और उसके परिजनों को डांट-फटकार कर अपमानित किया गया। सरपंच पति ने पीड़ित परिवार से कहा, “जहां जाना है, जाओ, हमें कोई मतलब नहीं।” यह बयान पीड़ित परिवार के लिए अत्यंत आघातकारी साबित हुआ और उन्हें न्याय की उम्मीद भी डगमग गई। पीड़िता की मां ने बताया कि उन्हें गांव की परंपरागत पंचायत से इमानदारी और साहस की सजा मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उलटे वहां अपमान सहने के बाद उन्हें थाने का दरवाजा खटखटाना पड़ा। पुलिस ने युवती का आवेदन दर्ज कर लिया है और तुरंत कार्रवाई भी की है। पुलिस द्वारा पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए सदर अस्पताल भेजा गया है। प्रारंभिक जांच में घटना की पुष्टि हुई है और पुलिस ने आरोपित युवक को गिरफ्तार करने के लिए तलाश शुरू कर दी है। घटना ने गांव के माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है। ग्रामीणों के बीच क्षोभ की लहर दौड़ गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस ने संबंधित थाना प्रभारी को मामले की संवेदनशीलता के साथ जांच करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान करने की बात भी कही गई है। दूसरी ओर, गांव की पंचायत द्वारा पीड़िता के साथ किए गए व्यवहार ने एक बार फिर ग्रामीण समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और न्याय की पृष्ठभूमि को कटघरे में खड़ा कर दिया है। विधि विशेषज्ञों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि उक्त घटना सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं है, बल्कि ग्रामीण परिवेश में महिलाओं की असुरक्षा और पंचायती व्यवस्था की बुनियादी कमजोरियों की ओर भी इशारा करती है। उन्होंने त्वरित और निष्पक्ष जांच की मांग की है, साथ ही महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने पर जोर दिया है। इस घटना की जांच अभी जारी है और पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध आवश्यक कानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। स्थानीय प्रशासन ने भी स्वयं संज्ञान लेकर मामले की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं। मामले को पूरी तरह संज्ञान में लेते हुए पीड़िता और उसके परिवार को त्वरित न्याय मिले, यह अब सबकी प्रतीक्षा है। साथ ही, गांव की पंचायत और समाज के मुखियाओं को भी इस घटना से सबक लेते हुए, महिलाओं के प्रति सहानुभूतिपूर्ण और इमानदार रवैया अपनाने की मिसाल कायम करनी चाहिए।
